देवेश कटियार की रिपोर्ट
कन्नौज। कोरोना जांच के लिए सैंपल लेने के बाद व्यक्ति का नाम और पता दर्ज करने में स्वास्थ्य विभाग द्वारा घोर लापरवाही बरती जा रही है। अब विभाग की यह लापरवाही लोगों पर भारी पड़ रही है। दरअसल मामला यह है कि चार दिन पहले इंदरगढ़ क्षेत्र के अजीत सिंह नाम के एक व्यक्ति ने कोरोना जांच के लिए अपना सैम्पल दिया था। स्वास्थ्य कर्मियों ने हमेशा की तरह उसका नाम, कस्बे के नाम और मोबाइल नम्बर रजिस्टर में दर्ज कर लिया। 3 अगस्त को उस व्यक्ति की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आ गई। जिसके बाद उसे आइसोलेट करने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने पुलिस व क्षेत्रीय लेखपाल की मदद से इंदरगढ़ कस्बे में अजीत सिंह नाम के व्यक्ति की तलाश शुरू कर दी। गोपनीय तरीके से उसे तलाशा जाता रहा, लेकिन कस्बे में उसका कहीं पता नहीं चला। क्योंकि एड्रेस में सिर्फ इंदरगढ़ ही लिखा था। जब टीम ने कोरोना मरीजों की लिस्ट में दर्ज उसके मोबाइल नम्बर पर सम्पर्क करना चाह तो, उसके मोबाइल पर कॉल भी नहीं लगी। ऐसे में जब देर रात तक उसका कहीं पता नहीं चल सका तो क्षेत्रीय लेखपाल पुष्पकान्त मिश्रा ने लोगों से उक्त व्यक्ति के बारे में सूचना देने की अपील शुरू कर दी। जिसके माध्यम से उन्होंने कहा कि अजीत नाम का व्यक्ति जोकि कोरोना मरीज है, उसका कहीं पता नहीं चल रहा। यदि किसी को उसके बारे में कुछ पता हो तो लेखपाल को या एसडीएम तिर्वा के नम्बर पर सूचना देने की कृपा करें। सूचना देने वाले का नाम और पहचान गोपनीय रखी जाएगी। ऐसे में सवाल यह उठता है कि जब तक कोरोना संक्रमित मरीज का पता लगाया जाएगा, तब तक वह न जाने और कितनों को संक्रमित कर देगा। सैम्पल देने वाले मरीज का एड्रेस फ्रूफ और पिता का नाम क्यों दर्ज नहीं किया जाता। जबकि इस प्रकार की समस्याएं पहले भी सामने आ चुकीं हैं। इस मामले को लेकर जब कन्नौज टाइम्स ने जिले के मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. कृष्ण स्वरूप से जानकारी चाही तो पहले उन्होंने ऐसे किसी मामले में अनभिज्ञता जताई। बाद में विभागीय लापरवाही मानने की वजाय उन्होंने सही नाम और पता लिखाने की जिम्मेदारी पब्लिक के कंधों पर डाल दी। इंदरगढ़ में कोरोना मरीज के न मिलने की बात पर उन्होंने कहा कि यह जिम्मेदारी पुलिस की है। पुलिस खुद ही मरीज को ढूढेगी।