देवेश कटियार की रिपोर्ट।
कन्नौज-पूरी दुनिया को अपनी खुशबू से दिवाना बनाने वाली इत्रनगरी में पहली बार किसी राज्यपाल की मेजबानी हुई। 1997 में फर्रुखाबाद से अलग होकर नया जिला बनने के बाद यह पहली बार है कि यहां सूबे का प्रथम नागरिक के रूप में आनंदीबेन पटेल का यहां आगमन हुआ। राज्यपाल के इस्तकबाल के लिए खुशबू के शहर में जोरदार स्वागत समारोह हुआ।
आपको बता दें कि कन्नौज का नाम आते ही यहां बनने वाले इत्र का नाम सबसे पहले आता है। अपने इत्र के कारोबार के साथ ही कन्नौज अपने गौरवशाली इतिहास के रूप में भी पहचान रखता है। कन्नौज से कई हस्तियों ने देश में नाम किया और ऊंचे-ऊंचे ओहदे तक पहुंचे। लेकिन यह इत्तेफाक ही है कि जिला बने हुए करीब ढाई दशक होने को आया और अब पहली बार किसी राज्यपाल का यहां आना हुआ है। जिला बनने के बाद पहली बार सूबे की प्रथम नागरिक के इस्तकबाल के लिए इत्रनगरी में जोरदार तैयारियां रही हैं। मेजबानी में कोई कसर न रहे, इसके लिए जिले का प्रशासनिक अमला हर पहलू पर बारीकी से नजर रखे हुए था।एफएफडीसी में पहली बार कोई राज्यपाल
कन्नौज के इत्र कारोबार को बढ़ावा देने के लिए अब से तीन दशक पूर्व 1991 में बनकर तैयार हुए सुगंध एवं सुरस विकास केंद्र (एफएफडीसी) के लिए भी मंगलवार का दिन इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया। केंद्र सरकार के एमएसएमई मंत्रालय की ओर से संचालित एफएफडीसी में यह पहली बार हुआ कि यहां कोई राज्यपाल आया। अपनी स्थापना के बाद पहली बार आनंदीबेन पटेल के रूप में किसी राज्यपाल की मेजबानी को लेकर एफएफडीसी में भी उत्साह का माहौल रहा। एफएफडीसी के डायरेक्टर डॉ. शक्ति विनय शुक्ला बताते हैं कि अब तक इस संस्थान में किसी गर्वनर का आना नहीं हुआ। वह बताते हैं वह 1992 से यहां हैं, यह पहली बार है कि किसी गर्वनर का कार्यक्रम तय हुआ है। वह बताते हैं कि उनके आने से यहां के खुशबू के कारोबार को नई पहचान मिलेगी।
सबसे पहले आए थे केएल मुंशी, आखिरी बार रोमेश भंडारी।
पीएसएम कॉलेज के रिटायर प्रोफेसर और इतिहासकार डॉ. जीवन शुक्ल बताते हैं कन्नौज में सबसे पहले राज्यपाल के रूप में कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी सन् 1952 में आए थे। सन् 1991 में तत्कालीन राज्यपाल बी. सत्यनारायण रेड्डी यहां अतर एसोसिएशन की ओर से यूपीटी में आयोजित कार्यक्रम में आए थे। आखिरी बारी 1996 में तत्कालीन राज्यपाल रोमेश भंडारी यहां आए थे। तब वह तत्कालीन जिला पंचायत अध्यक्ष प्रकाश नारायन कपूर के यहां गए थे। उसके बाद यह पहली बार है कि यहां कोई राज्यपाल आया।