रवि तिवारी की रिपोर्ट
कन्नौज-जलालाबाद कृषि विज्ञान केंद्र अनौगी के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ वी.के.कनौजिया ने बताया कि जनपद में 15 हजार हैक्टेयर से अधिक भू भाग पर धान की खेती की जाती है जिसमें सबसे अधिक हिस्सेदारी हाइब्रिड प्रजातियों की है। इसके बावजूद 55 से 70 कुं./हे. तक ही पैदावार किसान ले पाते हैं। यदि सही तकनीक से खेती की जाये तो 20 से 25% तक पैदावार को आसानी से बढ़ाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि 21 से 25 दिन की पौध सामान्य दशा में लगाने हेतु उपयुक्त होती है। इससे अधिक दिन की पौध लगाने से पैदावार घटने लगती है। नर्सरी से पौध निकलते समय सावधानी बरतें जिससे जड़ों को नुकसान न पहुंचे। रोपाई 25 सेमी पंक्ति से पंक्ति तथा पौध से पौध की 10 से 15 सेमी की दूरी पर करें तथा एक स्थान पर एक से दो पौध का ही रोपण करें।
डॉ. कनौजिया ने बताया कि संतुलित मात्रा में उर्वरकों का ही प्रयोग करें। उचित होगा मिट्टी की जाँच करलें या पूर्व में कराई गई जाँच के आधार पर उर्वरक डालें अन्यतः की स्थिति में प्रति हेक्टेयर 150 किलो नाइट्रोजन, 75 किलो फास्फोरस तथा 75 किलो पोटाश का प्रयोग लाभकारी है। इस मात्रा की उर्वरकों से पूर्ति हेतु प्रति बीघा रोपाई के पूर्व अंतिम जुताई अथवा लेव के ठीक पहले 8 किलो यूरिया, 13 किलो डी. ए. पी. तथा 10 किलो म्यूरेट आफ पोटाश का प्रयोग करें। इसके बाद प्रति बीघा 7 किलो यूरिया का प्रयोग किल्ले बनते समय तथा इतनी ही मात्रा गोभ बनते समय प्रयोग करनी चाहिए। खेत में यदि जिंक की कमी हो तो 2 किलो जिंक सल्फेट का प्रयोग किया जाना चाहिए।
यह भी ध्यान रहे कि यदि दीमक का प्रकोप हो तो प्रति बीघा 300मिली क्लोरपायरीफॉस 20% को भूमि में मिलाएं।