झांसी। कोई दबंग गुंडा मवाली किसी पत्रकार को धमकी दे मारपीट करे तो समझ में आता है कि उसने दबंग की कोई खबर निकाली होगी तब उससे बदला लिया जा रहा है।
यदि कोई पुलिस वाला धमकाए तो समझ में आता है कि वो पुलिस की कारगुजारियों को छापा होगा, कोई अधिकारी धमकाए तो समझ में आता है कि अधिकारी के भ्रष्टाचार को छापा होगा। पर यदि पत्रकार ही पत्रकार को धमकाए, मारपीट करे, आईडी छीनने की कोशिश करे और गाड़ी से प्रेस मिटाने की कोशिश करे तो दो ही वजह हो सकती है। या तो पत्रकार पत्रकारिता की आड़ मे गलत कार्यों मे संलिप्त हो या सच्चे पत्रकार की वजह से फर्जी पत्रकार की दुकान बंद हो रही हो उसका वर्चस्व खत्म हो रहा हो।
ऐसा ही एक वाकया लखनऊ के ठाकुर गंज थाना क्षेत्र में बालागंज चौकी से आया है।
एक पत्रकार अपनी गाड़ी लेके दवा लेने गया। बालागंज चौराहे पर पहले से बैठे कुछ पत्रकारों ने रोक लिया व उनकी पत्रकार आईडी छीन ली और कार में लगे स्टीकर निकाल लिए।
हद तो तब हो गयी जब पत्रकार कहे कि हम पत्रकार कम गुंडे ज्यादा है। फिर जब कोई मना करें तो उसको जूठे केश बना कर फंसा देने की कोशिश !
शर्म आती है ऐसी पत्रकारिता पे। ऐसे लोगो की जगह पत्रकारिता में नही जेल में होनी चाहिए। आपको कोई समस्या है तो आप शिकायत कर सकते हैं न कि खुद कानून बन जाएं ।
प्राप्त जानकारी के अनुसार दोनों तरफ से नजदीकी चौकी पर तहरीर दी गई है। इस मामले की सत्यता के लिए स्थानीय पुलिस ने पूरे प्रकरण की जाँच एल आई यू से करवाने हेतु संस्तुति कर दी है।
मै लखनऊ जिला प्रशासन से माँग करता हूँ कि उक्त प्रकरण की जाँच स्वयं के कमेटी द्वारा कराने का कष्ट एवं जाँच रिपोर्ट मे दोषियों पर वैधानिक कार्यवाही करने का कष्ट करें ।
Social Media Promoter Prahlad Gautam