उमेश कुमार विश्वकर्मा की रिपोर्ट
जालौन -सामाजिक वानिकी वन प्रभाग उरई के सहयोग से और केंद्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान लखनऊ के तत्वाधान में ग्राम कुकोहुनूं में बुंदेलखंड क्षेत्र में चयनित सुगंधित फसलों की खेती प्रसंस्करण एवं वितरण विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया गया. कार्यशाला में सीएसआईआर लखनऊ से पधारे वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ सुधीर शुक्ला ने लेमनग्रास, पांमर ओझा, खस व तुलसी जैसे औषधीय पौधों के बारे में बताते हुये कहा कि लेमनग्रास की खेती से किसानों को सामान्य से 3 गुना लाभ मिलता है. साथ ही इसमें कीटनाशक और अन्य दवाओं का छिड़काव ना होने से इसकी लागत भी कम आ जाती है. उन्होंने कहा कि जैसे मेंथा का तेल निकालते हैं उसी तरह लेमनग्रास का तेल निकाला जा सकता है, जबकि खस के तेल निकालने की विधि अलग है. उन्होंने कहा कि लेमनग्रास अथवा मेंथा का तेल निकालने के बाद जो अपशिष्ट बचता है उससे उत्तम श्रेणी की कंपोस्ट खाद बनाई जा सकती है. जबकि खस के अपशिष्ट से उत्तम प्रकार की टटियां बनाई जाती हैं. खस की खेती के साथ-साथ सहफसली खेती जैसे मूली, गाजर व धनिया भी की जा सकती है. लेमन ग्रास की पत्तियों से चाय भी बना कर पी जा सकती है जो जुखाम, बुखार व सिर दर्द को ठीक करती है. साथ में पधारे डॉ श्याम प्रकाश ने बताया की सीमैप द्वारा तुलसी से एंटीकैंसर दवा निकाली गई है जो कैंसर को ठीक करने में कारगर होती है. तुलसी अपनी लंबाई के अनुपात में अधिक ऑक्सीजन देता है. सुगंधित और औषधीय पौधों से निकले हुए तेल की मार्केट में बहुत मांग है, यही कारण है कि इसका तेल बहुत महंगा बिकता है. उन्होंने बताया कि ज्यादातर गुलाबजल, पामर ओझा से बनता है. इसका तेल परफ्यूम, आइसक्रीम फ्लेवर, पाउडर, साबुन आदि सुगंधित सौंदर्य प्रसाधनों के निर्माण में काम में आता है. किसान इसकी खेती कम उपजाऊ वाले खेतों में करके अधिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं. कार्यक्रम का संचालन सामाजिक कार्यकर्ता राम मोहन चतुर्वेदी ने किया
इस अवसर पर सीमैप लखनऊ के प्रोजेक्ट असिस्टेंट विपिन कुमार और रवि तिवारी उप प्रभागीय वनाधिकारी कौंच कृष्ण कुमार उपाध्याय, क्षेत्रीय वनाधिकारी रविंद्र भदौरिया, वन दरोगा मनीष गौड़, सुरेश पाल, रामपाल, हल्कू, पूर्व प्रधान मान सिंह, राजेंद्र सिंह, उमा सिंह, राम अवतार सिंह, बद्रीप्रसाद, ओंकार, गुलाब सिंह सहित बड़ी संख्या में महिलायें उपस्थित रहीं।