केंद्र और राज्य सरकारें भ्रष्टाचार को रोकने के लिए प्रयासरत हैं। लेकिन भ्रष्टाचार थमने के बजाए बढ़ता ही जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सपना 2022 तक देश के हर गरीब को आवास मुहैया कराने का है। लेकिन सरकारी नुमाइंदे तथा जनप्रतिनिधि इस सपने को परवान चढ़ने से रोकने की जी जान से लगे हुए हैं। भ्रष्टाचार का ऐसा ही एक मामला पीलीभीत जिले से सामने आया है। जी हां जनपद पीलीभीत के विकास खंड पूरनपुर क्षेत्र के अंतर्गत ट्रांस शारदा क्षेत्र की ग्राम पंचायत कुठिया गुंदीया से निकल कर आया है।
जहां के ग्रामीण अपनी मूलभूत सुविधाओं से कोसों दूर हैं। इस मजदूर बस्ती में न बिजली के खंभे आये हैं। और न ही स्वच्छता के अभियान के तहत शौचालयों का लाभ भी अभी तक नहीं मिला है। जिससे ग्रामीणों को शौच के लिए खुले में जाना पड़ता है। इसके अलावा यहां के पात्र लाभार्थियों को पीएम आवास नहीं मिल पा रहे हैं। पक्षपात के चलते या ये कहें कि रिश्वत न देने के कारण आवास सूची में ऊपर नाम होने के बाद भी ग्रामीण आवास से वंचित हैं।
जहां बारिश के चलते गरीब छत को तरस रहे हैं। उनके आंसू पोछने के बजाय ग्राम प्रधान 15 हजार रुपये की मांग कर रहा है। इस बस्ती की एक अनुसूचित जाति की गरीब महिला ने प्रधान पर 15 हजार रुपये मांगने का आरोप लगाया है। पैसे न देने पर हमें आवास नहीं मिला।जबकि सूची में नाम शामिल है। इस बस्ती के ग्रामीणों ने बाढ़ राहत सामग्री भी नहीं मिलने की बात कही। इससे यही दर्शाता है कि इस बस्ती के ग्रामीण अधिकारीयों की लापरवाही के कारण उपेक्षा का शिकार हो रहे हैं।