मोहित गुप्ता की रिपोर्ट
हरदोई मे भूत भर रहे जेब और कर रहे सरकारी जमीनो पर कब्जे
अगर न चेता प्रशासन तो ये तांत्रिक चढ़ा सकते हैं मासूमों की बलि
इन तान्त्रिकों के मकड़जाल में समाज का बड़ा तबका
इनके अवैध कब्जो पर क्यो नही पड़ती जिम्मेदारों की नज़र? क्या जिम्मेदारों को भी लगता है भूतों से डर
टड़ियावां/हरदोईजी हाँ बात सुनने में जितनी हैरतअंगेज है उससे कहीं ज्यादा दिलचस्प भी, एक ओर जहां मानव इक्कीसवीं सदी में नए अविष्कार ईजाद कर दूसरे ग्रहों पर जीवन की संभावना तलाश रहा है वहीं दूसरी ओर कुछ धूर्त पाखण्डी भोले-भाले लोगों को गुमराह कर अपनी जेब भरने के साथ-साथ पाखण्ड की आड़ में सरकारी जमीनो पर स्थायी कब्जे भी कर रहे हैं।
ऐसा ही एक मामला हरदोई के टड़ियावां थानाक्षेत्र के हरिहरपुर रोड पर खेरवा गांव में देखने को मिला,जहाँ एक महिला तांत्रिक उर्मिला (कथित नाम) द्वारा प्रत्येक गुरुवार को भूत प्रेत भगाने का दावा कर अपनी पाखण्ड की दुकान सजाई जा रही है, सूत्रों की माने तो वह इस पाखण्ड की आड़ में पास ही पड़ी खाली सरकारी जमीन हथियाने की फिराक में है। जब हमारे कुछ मीडियाकर्मियों की नज़र इसके इशारे पर बनाए गए भूतो पर पड़ी, जो इसके *हरी चादर पड़ी अस्थाई मज़ार* के आस पास चक्कर लगाकर भूत होने का अभिनय कर रहे थे। जब मीडियाकर्मी इस नज़ारे को कैमरे में कैद करने लगे तो उनमें से एक भूत की नज़र कैमरे पर पड़ी और वह वीडियो बनाने से रोकने व डराने की तमाम असफल कोशिशे करने लगा।
*क्या सच में भूतों को कैमरे लगता है डर?*
जी हाँ बिल्कुल, तभी तो टड़ियावां क्षेत्र के भूत मीडिया कर्मियों को वीडियो बनाने से रोकते हैं कि कहीं उनकी यह करतूत कैमरे में कैद होकर वायरल न हो जाये जिससे पाखण्ड व अंधविश्वास से सजी दुकान बन्द हो जाएगी।
*क्या बोले जिम्मेदार*
जब हमने थाना प्रभारी टड़ियावां एसपी उपाध्याय से इस सम्बन्ध में बात की तो उन्होंने बताया *कि इस तरह के मामले अधिकांश ठगी के लिए ही होते हैं किसी के भी द्वारा लिखित शिकायत मिलने पर कड़ी कार्यवाही की जाएगी,यह पूछे जाने पर कि क्या आप मानते है कि वास्तव में भूत होते हैं तो उन्होंने कहा कि “मै इस बात को नकारता भी नही कि भूत नही होते हैं”*
टड़ियावां क्षेत्र का यह मामला तो मात्र एक बानगी है इसी तरह अंधविश्वास और भ्रांतियां फैलाकर लगभग पूरे हरदोई जनपद में तांत्रिकों का साम्राज्य फैला हुआ है,यह अधिकांश गुरुवार या किसी अन्य निर्धारित दिन में अफवाहों का बाजार गर्म कर अपने ही लोगो को भूत होने का अभिनय कराकर एक निश्चित स्थान पर (जिसे इनकी भाषा मे मज़ार या गद्दी कहा जाता है), समाज के एक बड़े तबके को गुमराह करते देखे जा सकते है, इनका शिकार अधिकतर महिलाएं होती हैं जिसका मुख्य कारण कि वह आसानी से इनकी बातों में आ जाती है,ये धूर्त इस पाखण्ड से बिना कुछ खास मेहनत किये ही हज़ारो लाखो की कमाई करते हैं, इतना ही नही, इसी की आड़ में ये खाली पड़ी वेशकीमती सरकारी जमीनों पर स्थायी कब्जे भी कर रहे हैं या कर चुके हैं।
भूत होने व भूतो के नाम पर अवैध कब्जों के सम्बंध में जब हमने हरदोई डीएम से टेलीफोन पर वार्ता करनी चाही तो उनका फोन रिसीव नही हो सका।
वहीं अपर जिलाधिकारी से सम्पर्क करने पर उनके द्वारा अवकाश पर होने की बात कहकर फोन काट दिया गया।
जब हमने उपजिलाधिकारी हरदोई सदर से इस सम्बंध में फोन पर वार्ता की तो उन्होंने कहा *कि वह भूत प्रेत होने पर यकीन नही करते है व जल्दी ही ऐसे भूतों के नाम पर गुमराह कर किये गए अवैध कब्जे वाले स्थानों को चिन्हित कर अवैध कब्जे हटवाए जाएंगे*
वहीं जब हमने यह जानने के लिए कि क्या वास्तव में भूत होता है उपमुख्यचिकित्साधिकारी डॉ0 स्वामी दयाल यादव से बात की तो उन्होंने बताया कि- *”मेडिकल साइन्स में भूत नाम की कोई चीज नही होती है बल्कि जिन लोगों पर तांत्रिक भूत होने का दावा करते हैं दरअसल वो _साइको सोमैटिक डिसऑर्डर_ नाम की बीमारी से ग्रसित होते है जिसका मुख्य कारण मन के विचारों का शरीर से तालमेल न बैठ पाना या यौन इच्छाओं का पूर्ण न हो पाना है,ऐसे मामलों में मरीज अपने विचारों को इस तरह से प्रकट करता है जिसे ये तांत्रिक भूत होने का दावा करते है इस बीमारी के लिए कोई खास दवाइयां तो नही बनी है,लेकिन एक अच्छा मनोचिकित्सक काउंसिलिंग से ऐसे मरीजों को पूरी तरह ठीक कर सकता है”*
आश्चर्य की बात तो यह है कि कभी-कभी बड़े नेता या अधिकारी को भी इन तान्त्रिकों की चौखट पर माथा टेकते देखा जा जाता है। शायद यही वह वजह है कि बहुधा इनका कोई विरोध नही करता है यदि कोई करता भी है तो उस मामले को या तो दबा दिया जाता है या ले-देकर रफा दफा कर दिया जाता है। उससे भी आश्चर्य की बात यह है कि किसी भी जिम्मेदार अधिकारी को इन तांत्रिको की करतूत और इनके द्वारा अवैध कब्जे दिखाई नही देते है और जबतक इनकी करतूत दिखाई देती है तबतलक कोई अबला इनकी हवस का शिकार हो चुकी होती है या कोई मासूम बलि चढ़ चुका होता है,जिसके बाद प्रशासन हरकत में आकर कार्यवाही तो करता है लेकिन ये धूर्त तांत्रिक ऊंची पहुंच व बड़े लोगो के सम्पर्क में होने के चलते आसानी से छूट जाते है और फिर से अपनी दुकान सजाते हैं। आज जरूरत है जिम्मेदारों को ऐसे ढोंगियों को चिन्हित कर उनकी दुकान बन्द कराने की,हमे स्वयं जागरूक होने के साथ ही समाज मे भी जागरूकता फैलाने की,तभी हम और हमारा समाज ऐसे धूर्तों व उनकी काली करतूतों से बच पायेगा।