रिपोटर-मोहित गुप्ता
हरदोई में प्रधान ही नही बड़े बड़े उद्योगपति सरकारी जमीनों पर अपने व्यवसायिक प्रतिष्ठान खोले हुए है और सैकड़ो शिकायत के बाद भी इन इमारतों का खड़े रहना दर्शाता है कि भाजपा सरकार में सिर्फ गरीबो के ऊपर ही हर कार्यवाही की जाएगी उन लोगो के भ्रष्टाचार पर कोई कार्यवाही नही होगी जिन्होंने अपने गले मे भाजपा का पट्टा डाल लिया है।
*शिकायती पत्र के अनुसार आज का प्रकरण हरदोई देहात की तालाब की जमीन 2798 से जुड़ा हुआ है जो सरकारी भूमि है और इसी धन्नू पुरवा में कई गरीबो को बेघर कर दिया गया था तत्पश्चात परिवार के लोगो ने लखनऊ में आत्मदाह का प्रयास किया था
लेकिन इसी धन्नू पुरवा में ग्राम प्रधान अख्तर गाजी का वह अवैध निर्माण खड़ा है जिसकी पूर्व में शिकायत भी हो चुकी है जांच के दौरान लेखपाल को दोषी पाए जाने के बाद निलंबित भी किया गया एफआईआर भी दर्ज हुई। लेकिन सभी कार्यवाही राजनीतिक दवाब में कागजो पर कर दी गई लेकिन धरातल पर कोई कार्यवाही नही की गई और तालाब की जमीन पर अवैध निर्माण आज भी खड़ा है।सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब जांच में जब लेखपाल दोषी पाया गया और एफआईआर तक दर्ज हुई तो अवैध निर्माण को क्यो नही गिराया गया और दर्ज एफआईआर पर क्या कार्यवाही की गई अवैध निर्माण पर क्या कार्यवाही की गई यह शायद किसी को नही मालूम अवैध निर्माण का आज भी खड़े रहना दर्शाता है कि अवैध निर्माण पर राजस्व विभाग ने कोई कार्यवाही नही की और जब शिकायत की गई थी तब मात्र पिलर ही खड़े थे लेकिन अब पूरी अवैध इमारत बन कर खड़ी हो गई है।शिकायत कर्ता ने आरोप लगाया है कि अपनी प्रधानी के दौरान अख्तर गाजी ने बड़े पैमाने पर बाहरी लोगो को सरकारी भूमि पर पैसे लेकर कब्जा करवाया है व खुद व उनके भाई अतहर गाजी ने बड़े पैमाने पर सरकार की बेशकीमती जमीनों पर कब्जा कर रखा है।सबसे बड़ा सवाल है कि आखिर अवैध इमारत को गिराया क्यो नही गया जब सभी चीज़े शीशे की तरह से साफ है