आदित्य मिश्र की रिपोर्ट
हरदोई। इस कार्यक्रम का शुभारम्भ जनपद की 110 वर्ष पुरानी साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्था श्री सरस्वती सदन हरदोई के तत्वावधान में आयोजित किया गया. इस अवसर पर श्री सरस्वती सदन के अध्यक्ष अरुणेश वाजपेयी, महामंत्री मनीष मिश्र, पुस्तकालयाध्यक्ष सीमा मिश्र एवं पुस्तक के लेखक विनोद तिवारी के भाई पी.के तिवारी उपस्थित रहे ।
विमोचन के वक्त अमेरिका के कोलोरैडो राज्य में रहने वाले विनोद तिवारी वीडियो कांफ्रेंसिग के माध्यम से इस समारोह में सम्मिलित हुए ।
इस अवसर पर सदन के अध्यक्ष अरुणेश वाजपेयी ने जानकारी दी कि ‘अमेरिका में बसे पुस्तक के लेखक विनोद तिवारी मूल रूप से हरदोई के रहनेवाले हैं । वे वहां की एक राष्ट्रीय वैज्ञानिक संस्था में भौतिक विज्ञानी के पद पर कार्यरत हैं ।
उनकी यह पुस्तक, उनके 70 वर्ष की जीवनयात्रा में लिखी गई कविताओं का संकलन है जिसमें उन्होंने प्रेम, पीड़ा, जीवन दर्शन, देश प्रेम, हास्य और वंदना समेत सभी रंगों को अपने शब्दों के माध्यम से अभिव्यक्त किया है ।
उनकी कविता में वह जागरुकता है जो हमें सदा ही जीवन के प्रति नई आस्था लिए आगे बढ़ने को प्ररित करती है ।
समारोह में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सम्मिलित पुस्तक के लेखक विनोद तिवारी ने श्री सरस्वती सदन की प्रशंसा करते हुए कहा कि कहा कि ‘साहित्य से मेरे परिचय और रुचि का कारण सरस्वती सदन ही है. मैं 7 वर्ष की आयु में पहली बार सरस्वती सदन गया था । वहां के साहित्य और पुस्तक भंडार को देखकर मन में कौतूहल जागा और वहीं से मेरे लेखन की नींव पड़ी जनपद में सरस्वती सदन हिन्दी के प्रचार- प्रसार की भूमिका में अग्रणी भूमिका निभा रहा है।
बिना किसी सरकारी सहायता के हिन्दी सेवा में जुटे सदन के पदाधिकारी साधुवाद के पात्र हैं।
सदन महामंत्री मनीष मिश्रा ने इस अवसर श्री सरस्वती सदन, हरदोई को अपनी पुस्तक भेजने के लिए पुस्तक के लेखक विनोद तिवारी को सदन की ओर से धन्यवाद दिया।
लेखक का संक्षिप्त परिचय – इस काव्य पुस्तक के लेखक श्री विनोद तिवारी, मूल रूप से हरदोई, उत्तर प्रदेश के निवासी हैं. वे अमेरिका के कोलोरैडो राज्य में रहते हैं. और वहां की एक राष्ट्रीय वैज्ञानिक संस्थान में वैज्ञानिक के पद पर कार्यरत हैं
विनोद तिवारी ने भौतिक विज्ञान में लखनऊ विश्वविद्यालय से बी. एस.सी, एम.एस.सी और दिल्ली विश्वविद्यालय से पीएचडी किया है।
वे बिड़ला इंस्टिट्यूट पिलानी में प्राध्यापक और डीन ऑफ रिसर्च रह चुके हैं। भौतिक विज्ञान में अपने शोध कार्य के लिए उन्हें अमेरिका में कई पुरस्कार मिल चुके हैं। वर्ष 2001 से वे हिंदी की प्रसिद्ध प्रकाशन संस्था ‘काव्यालय’ के संपादक की भूमिका निभा रहे हैं ।