अनुज कुमार गुप्ता की रिपोर्ट
हरदोई-हर साल मार्च के दूसरे बुधवार को नो श्मोकिग डे यानी धूम्रपान निषेद्ध दिवस मनाया जाता हैं इस दिन का मुख्य उद्देश्य धूम्रपान के माध्यम से तम्बाकू उपभोग की वजह से स्वास्थ्य पर पड़ने वाले हानिकारक प्रभावों के बारे मे जागरूक करना है धूम्रपान का घातक प्रभाव से कई बार ह्रदय रोग ब्रोकाटिस निमोनिया और विभिन्न प्रकार के कैंसर से प्रभावित मौखिक कैंसर गम्भीर समस्या विकसित हो जाती हैं लेकिन अक्सर धूम्रपान न करने वाले भी इसके होने वाली बीमारी के शिकार हो जाते हैं
दरअसल कई बार लोग खुद धूम्रपान करने वाले दोस्तो, रिस्तेदारों औऱ परिवारजनों के बीच रहकर सेकेंड हैंड श्मोकिग यानी दुसरो के धूम्रपान के धुएं का सेवन करते हैं। ऐसे लोगो को भ्रंम हो सकता हैं कि उन्हें केन्सर जैसी बीमारियों का खतरा इसलिए नही हो सकता मगर
सेकेंड हैंड श्मोकिग भी उतनी ही खतरनाक है। जितनी सिगरेट पीने वाले को
बच्चों को हो सकती है अलग अलग गम्भीर समस्या
इसके अलावा ज्यादा खतरा बच्चों को होता है क्योकि उनके फेफड़े और अंग नाज़ुक होते हैं और प्रदूषण, धुंए या धूम्रपान के प्रति ज्यादा सवेदनशील होते हैं इसका खमियाज़ा उन बच्चों को भुगतना पड़ता है जिनके माँ बाप इनमे से कोई एक स्वयं धूम्रपान करता है धूम्रपान के सम्पर्क में रहने से बच्चों में दाँतो सम्बन्धित समस्या हो सकती है इससे बच्चों में कैंसर, शुगर ,साँस सम्बन्धी कई बीमारियों के सम्भावना बढ़ जाती है इस रोग में पैदा हुए बच्चो की एक साल के अंदर बिना किसी कारण के मौत हो सकती है। कई बार बच्चा समय से पहले पैदा हो जाता है यानी प्रो मेच्योर डिलिवरी हो सकती है
बच्चे का वजन सामान्य से कम हो जाता है बच्चे की मानसिक छमता सामान्य से कम हो सकती है उसके सीखने व समझने की क्षमता कम हो जाती हैं अगर माँ खुद धूम्रपान करती हैं तो यह सारे खतरे कई गुना ज्यादा तक बढ़ जाते हैं