हापुड़ से मूलशंकर की रिपोर्ट
कलयुगी बेटों ने बुजुर्ग माता पिता का ईलाज कराने की बजाय उन्हे कोरोना संक्रमित मान एक कमरे में अलग बंद कर दिया। दो दिन तक एक कमरे में बंद दंपत्ति ने ईलाज के अभाव में दम तोड दिया तो पडोसियों को मामले की जानकारी हुई। मामला धौलाना तहसील क्षेत्र के डासना स्थित रफीकाबाद इलाके से जुडा है। जहां बुजुर्गो की मौत के बाद उसके परिजनों ने शवोें को दफना दिया है।
गली नं0 3 में रहने वाली 65 वर्षीय हाजी रईसुद्दीन की पत्नी की पिछले सप्ताह अचानक तबीयत खराब हो गई। सांस लेने में परेशानी होने पर बेटे मां को ईलाज को पिलखुवा के एक निजी अस्पताल ले गये। जहां डाक्टरों ने कोरोना जांच के बगैर ईलाज करने से मना करा दिया तो बेटों ने मां का परीक्षण करने की जगह घर लाकर सलाह की ओर उसे एक कमरे में बंद कर दिया। इतना ही नहीं कोरोना के डर के कारण महिला के पति यानि अपने पिता को मां की देखरेख की जिम्मेदारी भी सौंप दी। इसी दौरान बुजुर्ग पिता की भी तबीयत बिगड गई। अस्पताल ले जाने पर चिकित्सक ने उनकी भी कोरोना जांच कराने की सलाह दी लेकिन बेटे उन्हें भी बिना संक्रमण टेस्ट कराए घर ले आये तथा पिता को भी मां के साथ ही कमरे में बंद कर दिया। दोनो की हालत बिगडने पर घर पर ही प्राईवेट डाॅक्टर से आक्सीजन लगा दी गई लेकिन कोरोना के भय से अस्पताल ले जाने की जहमत नहीं उठाई गई। पहले पति व फिर पत्नी ने दम तोड दिया तो मौहल्ले में खबर आग की तरह फैल गई। मौहल्ले के नवाब अली, वसीम, हिंना, वकील आदि ने बुजुर्गो की मौत पर दुख व्याप्त करते हुए आक्रोश प्रकट किया है। वहीं प्रशासन का कहना है कि मृतको के परिजनो का स्वास्थय परीक्षण कराया जायेगा। मृतक के 3 बेटे है।