हरिओम दिवाकर की रिपोर्ट
कृषि वैज्ञानिक डॉ० जितेन्द्र सिंह ,कृषि विज्ञान केन्द्र फ़तेहपुर,चंद्रशेखर आज़ाद कृषि विश्वविद्यालय , कानपुर लॉकडॉउन के दौर में भी सभी किसानों को माह , अप्रैल , मई में स्वावलम्बी खेती की तकनीकी सुझाव प्रेषित किया। किसान भाइयों से फोन से रोज काफी संख्या में बात करते रहें और अब जनपद में सभी कृषि क्षेत्रो के लिए माह जून-2020 में खेती की तैयारी हेतु सुझाव जारी किया है है।
उन्होंने बताया कि उन्होंने लाकडाउन के दौरान सभी कृषि ग्रुप ,सहयोगी ग्रुप व किसानों के वाट्सअप में माह अप्रैल, मई में फसल अवशेष प्रबन्धन , हरी खाद हेतु ढेंचा की बुआई, कटी मेड़ो को बन्द करना एवं गर्मी की जुताई के लिए नियमित सन्देश भेजकर प्रेरित किया । क्योकि इस कोरोना महामारी के बचाव प्रबन्धन के कारण गाँव-2 जाकर गोष्ठी व परिचर्चा करना सम्भव नही हो पाया हैं । परन्तु अप्रैल, मई में दिए सुझाव के अनुसार और माह जून -2020 में जो लोग ये सब कार्य करेगे निश्चित रूप से उनके खेतो में पानी रुकने के साथ खेती की *लागत* *कम* होगी और आयपरक खेती करने में बल मिलेगा ।
उन्होंने जून में होने वाले कृषि कार्यों को क्रमवार बताते हुए कहा कि
1- खेत मे जाकर तुरन्त कटी मेड़ो को बांधे साथ नमी मिलने पर मोटी *मेड़* बनाये, खेत के छोटे टुकड़े करें जिससे खेत जिससे *उर्वरक* *मिट्टी* खेत से बाहर न जा पाए ।
2- *जल* *संरक्षण* के लिए वर्षा तक जब-2 *ओट* मिले खाली खेत मे *गहरी* *जुताई* करे ।
3- खेत व *खेत* के जलागम क्षेत्र से पानी बाहर न जाने दे। अधिक पानी होने पर खेत व *जलागम* क्षेत्र से धीमी गति से पानी के बहाव का प्रबन्धन हेतु तैयार रहें ।
4- अधिक पानी *तालाबो* में पहुचाने का प्रबन्धन किया जाए ।
*मनरेगा* में गाँव मे चिन्हित *जल* संरक्षण के साधनों और जगहों को मजबूत करने का काम करना लाभकारी होगा ।
5- धान की नर्सरी में पानी शाम को लगाए सुबह के समय पानी निकाल दे । रोपाई समय से करे नर्सरी अधिक बढ़ जाने पर ऊपर से 5 सेमी० काटकर लगाए।
6- जहाँ ऊपर का क्षेत्र में धान की सीधी बुआई कर सकते हैं ,ड्रम सीडर से बुआई करे ।
7- धान के खेत के चारो तरफ *ढेचा* बोकर *बीज* तैयार करे जिससे अगले वर्ष पूरे खेत में हरी खाद ले सकें।
हरी खाद की पलटाई कर खेत मे सड़ाये धान की रोपाई ढेंचा पलटने के तुरन्त बाद भी कर सकते हैं ।
8- धान के खेतों में मेड़ में अरहर की बुआई जरूर करे जिससे अपने उपयोग हेतु अरहर की दाल तैयार हो सके ।
9- वीहड़ , वर्षा आधारित क्षेत्रो में ज्वार, बाजरा, अरहर, तिल की बुआई वर्षा के अनुसार खेत, बीज की तैयारी कर ले ।
10- वर्षा एकदम से कम होने पर नमी संरक्षण का प्रबन्धन जरूर किया जाय ।
किसानों से विशेष अनुरोध करते हुए कहा कि जल संरक्षण प्रबन्धन सब मिलकर एक साथ करे। , वीहड़ व वर्षा आधारित क्षेत्र में माह सितम्बर तक जल संरक्षण का प्रबन्धन करना व कराना नितांत आवश्यक हैं । उन्होंने कहा कि किसानों तक सामायिक तकनीकी प्रबन्धन पहुचाने हेतु समय-2 प्रेषित करेगे और आप सन्देश भेजकर व फोन करके भी जानकारी लेते रहे हमे खुशी होगी। और जो *तकनीकी* आपके काम की है *अपनाये* और सुरक्षित रखें ।