प्रशासन कराए निष्पक्ष जांच, तो चौंकाने वाला सच आ सकता है सामने
हरिओम दिवाकर की रिपोर्ट
फतेहपुर: वैश्विक महामारी कोरोनावायरस से बचने हेतु देश में लाकडाउन घोषित किया गया है। इस समस्या के कारण ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में खासकर दिहाड़ी मजदूर, मनरेगा मजदूर,विधवा,विकलांग परिवार को रोजी रोटी का गंभीर संकट हो गया है। जिसके निदान के लिए शासन द्वारा ₹1000 विकलांग को विधवाओं को व मनरेगा मजदूरों, पंजीकृत मजदूरों सहित निम्न आय वर्ग के लोगों को शासन द्वारा मदद दी जा रही है जिससे वह लाकडाउन के दौरान रोज़ी रोटी के लिए परेशान ना हो जिसे गांव में खुली बैंक फ्रेंचाइजीयों से ग्रामीण रुपये निकाल रहे हैं। इसी व्यवस्था के तहत फ्रेंचाइजी वाले कर्मचारी चेक करने के नाम पर अंगूठा लगवा कर नहीं आया कहकर वापस कर रहे हैं व अंगूठा लगवाने के दौरान गरीबों का पैसा ड्रा कर लेते हैं मजदूर पढ़ा लिखा न होने के कारण बैंक की मुख्य शाखा तक नहीं पहुंच पा रहे हैं वहीं इस मामले में कुछ प्रधान भी शामिल हैं जो मनरेगा जॉब कार्ड धारक गरीब व विधवा महिलाओं से अंगूठा लगवा कर पैसे अपने पास रख रहे हैं। कई दिनों से सोशल मीडिया में जनपद फ़तेहपुर के कुछ वीडियो भी वायरल हुए हैं क्योंकि गांव में प्रधानों के खिलाफ कोई बोलना नहीं चाहता इसलिए यह मामले शासन व प्रशासन की निगाह में नहीं आ रहे हैं फ्रेंचाइजीओं की स्थिति भी बेहतर नहीं है गरीबों को पैसा नहीं आया कह कर यह खेल लंबे समय से खेला जा रहा है। कई फ्रेंचाइजी धारकों की शिकायतें भी होती हैं, लेकिन सेटिंग करके मामले निपटा लिये जाते हैं। कार्रवाई के नाम पर जिले में संख्या न के बराबर है जिससे इनके हौसले बुलंद हैं किसान सम्मान निधि,पेंशन,वजीफा शादी अनुदान सहित यह खाताधारकों के साथ लंबे समय से घालमेल करते आ रहे हैं। शासन को इस ओर ध्यान देने की आवश्यकता है नहीं तो शासन की मंशा के अनुरूप गरीबों का हक गरीबों को नहीं मिल पाएगा ये समस्या लगभग पूरे जिले में है प्रधान व पंचायत मित्रों द्वारा जाब कार्ड जमा कराये जा रहे हैं जिसका पूरा दोष शासन व प्रशासन पर जाएगा।