अरुण बिकास पाठक की रिपोर्ट
फर्रुखाबाद । कल रात्रि आठ बजे जब मैं गौरव शुक्ला ब्यूरो चीफ के साथ घर जा रहा था तब रास्ते में एक सुनसान जगह पर ब्यूरो चीफ ने गाड़ी रोकी जहाँ कुछ लोगों को देखकर उनका मन उदास हो गया क्यूंकि हाड़ कम्पाऊ सर्दी में हलकी चादर ओढे कुछ लोग खेतों में रखबाली कर रहे थे मैं नहीं समझ पा रहा था कि साहब क्या देख रहे हैँ ।
आज सुबह उन्होंने मुझसे फिर बही बात दोहराई और ईश्वरीय प्रेरणा और मन की बात मानते हुए 100 कम्बल इन जरुरत मंदो को देने की नैतिक जिम्मेदारी का संकल्प लिया। क्यूंकि हमारा चैनल इस तरह के कार्य करने के लिए ही प्रेरित करता है कि रिपोर्टिंग के साथ साथ मानवीय मूल्यों को कभी नहीं खोना चाहिए।