मोहित गुप्ता की रिपोर्ट
हरदोई जनपद के शाहाबाद तहसील के सरकारी अस्पताल के डॉक्टरों को फूल मालाओं से स्वागत करना चाहिए तथा धन्यवाद देना चाहिए। वो इसलिए इनको स्वास्थ्य विभाग ने जिम्मा दिया है। लोगो की जान बचाने का प्रमाण पत्र लेकिन यहां पर कुछ उल्टा ही देखने मिल रहा ये वरिष्ठ डॉक्टरों के साथ नर्स और कम्पाउंडर जो की मरीजो का इलाज साथ में करते हे इन लोगो को यहां सिर्फ प्रेक्टिस के लिय रखा हुआ हे जान बचाने के लिए नही
आलम ये हे की इन सभी लो पेसेंट के साथ किस तरीके का इलाज करना हे वो तक पता नही
इन सभी इंजेक्शन ,ड्रेसिंग तक नही करनी आती है एक इंजेक्शन को पेसेंट को कई बार लगाना पड़ता है यहां तक सिरिंज को लगाते ही ब्लड तक आने की नोबत आ जाती हे इस अस्पताल में लगभग आधे से जायदा लोग सीखने में लगे हुए हे की डॉक्टरी केसे की जाए और कैसे बना जाए डॉक्टर लेकिन सीखना तो अच्छी बात हे किंतु मरीजों की जान के साथ यहां खिलवाड़ हो रहा हे वो किसलिए
एक छोटा सा हथियार जिसको इंजेक्शन कहते हे अगर वो गलत तरीके से लग जाए तो इसका हरजाना मरीज अपनी जान देकर भुगतना पड़ता है कई बार तो मरीज इनके कृत्य को देखते हुए सुई लगवाने से मना ही कर देता है जिस सुई को लगवाने से बार बार ब्लड बहने लग जाए इससे बेहतर हे की वो बिना सुई के मर जाए क्योंकि जो इलाज उसका कर रहा हे वही उसकी जान का दुश्मन बन रह रहा हे
इस अस्पताल में सुविधा के नाम पर सरकारी पैसे का भरपूर इस्तेमाल कर अपनी जेबें भरी जा रही हे और को भी महेगी दवाई हे वो जाकर बाहर ले यहां पर सिर्फ सस्ती और टिकाऊ दवाई की उम्मीद करे केसे पेरासीटामोल जेसी गोलियां ही मिल सकती है जब सरकार सभी तरीके की दवाइया उपलब्ध कराती है आखिर ये महंगी दवाइया किसके पास जाति है शाहाबाद सरकारी अस्पताल के डॉक्टर ,नर्स और ड्रेसिंग रूम कर्मचारी ,मेडिसिन रूम कर्मचारी इनकी हालत कुछ जर्जर हो चुकी हे ये अस्पताल नही मैडिकल इंस्टीट्यूट बना हुआ है जहां काम के समय सिर्फ सीखने का काम चलता हे