मोहन द्विवेदी की रिपोर्ट
देवरिया। जनपद के सलेमपुर तहसील अन्तर्गत ग्राम महथापार में चल रहे पाँच दिवसीय संगीतमय श्रीरामकथा के तीसरे दिन अयोध्या से पधारे सन्त श्री तुलसीदास जी महाराज ने कहा कि भगवान के कथा श्रवण से मनुष्य के शरीर मे ज्ञान की उत्पति होती है, इससे तन, मन में शुद्धता आती है। कलियुग में रामनाम का स्मरण इस भवसागर से पार करने वाला है। समाज के प्रत्येक वर्ग को जोड़ने वाले राम है। भगवान राम आदर्श मर्यादा पुरुषोत्तम हैं। संपूर्ण ब्रह्मांड का चलाने वाले भगवान का ध्यान लगाने से जीव सांसारिक सुखों को प्राप्त करते हुए ईश्वरीय कृपा से भक्ति के मार्ग से मुक्ति को प्राप्त करता है। भगवान में पूरी आस्था रखते हुए भक्ति से सब कुछ आसान हो जाता है। तुलसीदास जी ने रामकथा का वर्णन करते हुए अगस्त ऋषि द्वारा भगवान शिव को सुनाई गई रामकथा का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि रामचरितमानस के रचयिता तुलसीदास जब पैदा हुये तो उनके पिता आत्माराम दुबे ने देखा कि पुत्र के 32 दांत हैं, और बच्चा राम का नाम बोल रहा है तो इस विशेष लक्षण को देख उनको लगा कि ऐसा बालक कुल खानदान का नाश करेगा तो उन्होंने तुलसीदास जी का परित्याग कर दिया।
तुलसीदास जी को गली-गली भटकता हुआ अनाथों की तरह जीवन जीने को विवश होना पड़ा और बाद में उन्होंने श्रीरामचरितमानस जैसे महान ग्रंथ की रचना की, जिसके हर प्रसंग जीवन के विपरीत परिस्थितियों में भी एक अनोखी सीख देते हैं।
संगीतमय कथा में उनके द्वारा ‘राम तेरे मिलने का सत्संग ही बहाना है’ भजन पर श्रोता आनन्द से झूम उठे। कथा के पश्चात सैकड़ों श्रद्धालुओं ने आरती ‘हे राजाराम तेरी आरती उतारू’ गाने के बाद प्रसाद ग्रहण किया।
कथा में मुख्य यजमान जयनाथ कुशवाहा गुडडन, नागेंद्र मिश्र, निलाम्बुज मिश्र, अजय दुबे वत्स, बृजेश कुशवाहा, ग्राम प्रधान ममता कुशवाहा, बिंदु देवी, देवन्ती देवी, रामजी चौहान, राकेश दुबे, उपेंद्र पटेल, शुभम गुप्ता, करन यादव सहित समस्त ग्रामवासी मौजूद रहे।