उमर के सत्तर साल गुजर जाने के बाद भी सरकारी योजनाओं से वंचित दंपत्ति
रिपोर्ट-संजय सिंह राणा
चित्रकूट– आजादी के 73 वर्ष बीत जाने के बाद भी बुंदेलखंड में गरीबों के हालात जस के तस बने हुए हैं इनका कोई विकास आज तक नहीं हो पाया है पत्थर की खदानों में कार्य करने वाले मजदूर हो गया महुआ बीन कर गुजर-बसर करने वाले परिवार व जंगलों से सूखी लकड़ियां काटकर बाजार में बेचकर रोजी रोटी चलाने वाले आदिवासी हों या फिर मिट्टी के बर्तन बनाने वाले कुम्हार समुदाय के लोग व चमड़े का कारोबार करने वाले लोगों का कारोबार ठप होने के चलते आज इनका परिवार भुखमरी की कगार पर पहुंच गया है l
पंचायत की सड़कें आज भी अपनी बदहाली का रोना रो रही हैं सड़कों के किनारे बनी नालियां कीचड़ व गंदगी से बच बजा रही हैं लेकिन उनकी सफाई करने वाला कोई नहीं है
बीते 73 सालों में कई सरकारें आई और गई लेकिन इन गरीबों के हालात जस के तस बने हुए हैं इनके जीवन में कोई भी परिवर्तन आज तक नहीं हो पाया है जिसके कारण यह गरीब अपने परिवार का भरण पोषण करने के लिए दर-दर की ठोकरें खाते हुए नजर आते हैं पत्थर की खदानें बंद होने के चलते यह लोग खेती को अपना मुख्य व्यवसाय बना कर परिवार का भरण पोषण करते हैं l अनपढ़ व भूमिहीन होने के कारण यह गरीब किसी तरह अधिया बटाई की खेती लेकर फसल उगाने का काम करते हैं व उसी के सहारे अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं लेकिन बे मौसम हुई ओलावृष्टि के चलते एक बार फिर गरीब किसान भुखमरी की कगार पर पहुंच गया है व ओलावृष्टि के चलते घरों की हालात देखते ही बनती है जहां पर एक भी खप्पर सही सलामत नहीं दिखाई देता है l
शासन द्वारा ओलावृष्टि के चलते हुए नुकसान की भरपाई करने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों को मुआयना कराने के लिए लगाया गया था लेकिन यह जिम्मेदार अधिकारी अपनी लापरवाही दिखाते हुए सही तरीके से मुआयना नहीं करते हैं जिसके कारण लोग सरकार द्वारा दिए जा रहे अनुदान से भी वंचित रह जाते हैं l सरकार द्वारा संचालित कई जनकल्याणकारी योजनाएं आज भी लोगों तक नहीं पहुंच पाई हैं जिसके कारण यह लोग योजनाओं के लिए दर-दर भटकते हुए नजर आते हैं ग्राम पंचायतों में अशिक्षित गरीब ग्रामीणों की हालात देखते ही बनते हैं जहां पर ग्राम प्रधान व सचिव सहित अन्य जिम्मेदार अधिकारी अपनी मनमानी करते हुए नजर आते हैं l
ऐसा ही एक मामला सामने आया है जिला मुख्यालय से सटे ग्राम पंचायत कालूपुर पाही में बुजुर्ग दंपति का l
यह बुजुर्ग दंपति 70 साल के होने के बावजूद भी आज भी सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं से वंचित हैं ग्राम पंचायत कालूपुर पाही में रह रहे बुजुर्ग दंपत्ति कैलाश व केसरिया की कहानी कुछ ऐसी ही है जिसमें कैलाश द्वारा बताया गया कि लगभग 71 वर्ष बीत जाने के बाद भी आज तक वृद्धा पेंशन नहीं बना है वही इनकी पत्नी केसरिया द्वारा बताया गया कि आज तक सरकार की कोई योजना का लाभ हमें नहीं मिल पाया है योजना के नाम पर सिर्फ पात्र गृहस्थी का राशन कार्ड बनाया गया है जो हम बुजुर्गों के लिए नाकाफी है l जब आवास के बारे में इस दंपति से पूछा गया तो उनके द्वारा बताया गया कि हमारे पास ना तो ज्यादा जमीन है और ना ही कोई व्यवसाय का साधन है फिर भी ग्राम प्रधान व सचिव की मनमानी के चलते आज तक आवास उपलब्ध नहीं हो पाया है और ना ही हम लोगों की पेंशन बनाई गई है l
कैलाश द्वारा बताया गया कि ग्राम पंचायत में कई प्रधान हुए जिनसे कई बार आवास के लिए कहा गया लेकिन सिर्फ ग्राम प्रधानों व सचिवों द्वारा अनदेखी की गई है लेकिन योजनाओं का लाभ आज तक नहीं मिल पाया है l
कैलाश ने बताया कि ओलावृष्टि के चलते मकान गिर गए हैं व मकान के खप्पर टूट गए हैं लेकिन आज तक यहां कोई जांच करने वाला नहीं आया है जबकि शासन द्वारा लेखपाल को निर्देशित किया गया था कि घर-घर जाकर मुआयना किया जाए लेकिन लेखपाल महोदय सिर्फ एक जगह बैठ कर खानापूर्ति करते हुए नजर आते हैं वही केसरिया द्वारा बताया गया कि हम लोग कुम्हार बिरादरी के लोग हैं जो मिट्टी के बर्तन बनाकर अपने परिवार का भरण पोषण करते थे लेकिन ग्राम पंचायत में हम लोगों को मिट्टी के लिए कोई जगह नहीं छोड़े जाने के कारण मिट्टी नहीं मिल पाती है जिसके कारण हम बर्तन नहीं बना पाते हैं व रोजगार विहीन होने के चलते हमारा परिवार भुखमरी की कगार पर खड़ा हुआ है जो थोड़ा बहुत खेती-किसानी करके फसल उगाते हैं वह भी ओलावृष्टि के चलते नष्ट हो गई है l
आखिर ऐसे में कैसे हम अपना व अपने बच्चों का पेट पाले यह सबसे बड़ा सवाल है l
चित्रकूट जिला मुख्यालय से सटा हुआ यह गांव आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है ग्राम पंचायत कालूपुर पाही में जहां पेयजल का संकट मंडराया हुआ है वहीं दूसरी ओर सरकारी योजनाओं पर जिम्मेदार अधिकारियों व कर्मचारियों की मनमानी खूब देखने को मिल रही है l जिसके चलते गरीब ग्रामीणों को योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता है इस ग्राम पंचायत की दुर्दशा इस प्रकार है कि जो भी ग्राम प्रधान व सचिव यहां पर हुए हैं वह सिर्फ अपना पेट भरने में मस्त रहे हैं लेकिन ग्राम पंचायत के हालात किसी को नहीं दिखाई दिए हैं l
ग्राम पंचायत की सड़कें आज भी अपनी बदहाली का रोना रो रही हैं सड़कों के किनारे बनी नालियां कीचड़ व गंदगी से बच बजा रही हैं लेकिन उनकी सफाई करने वाला कोई नहीं है ग्राम पंचायत में लोग बूंद बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं लेकिन शिकायत करने के बावजूद भी पानी की समस्या से निदान नहीं हो पा रहा है जब भी ग्रामीणों द्वारा उच्चाधिकारियों से शिकायत की जाती है तो वह भी मामले की अनदेखी करते हुए नजर आते हैं जिसके कारण गरीब ग्रामीणों द्वारा की गई शिकायत ठंडे बस्ते में चली जाती है l
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा गांवों के विकास को लेकर जो सपना देखा जा रहा है वह सपना इन लापरवाह अधिकारियों व ग्राम प्रधान व सचिव की मनमानी के चलते सिर्फ हवा हवाई साबित होता दिखाई दे रहा है l
ग्राम पंचायतों के विकास कार्यों में अनदेखी करने वाले ग्राम प्रधान और सचिव सहित जिम्मेदार अधिकारियों के ऊपर जिला प्रशासन कब कार्यवाही करने का काम करेगा यह एक बड़ा सवाल है l