संजय सिंह राणा की रिपोर्ट
चित्रकूट: लगता है कुदरत को इस कायनात से कुछ हिंसाब चुकाने हैं. बेमौसम बारिश आंधी तूफान व ओलावृष्टि को देखकर शायद यही कहा जा सकता है. आसमानी कहर का दुष्प्रभाव सबसे ज़्यादा अन्नदाताओं पर पड़ रहा है. फरवरी के मध्य से लेकर मार्च के मध्य व अब इस महीने के अंतिम सप्ताह में नील आसमानों का काला होना किसानों के लिए भारी पड़ गया है. खेत खलिहान में मोक्ष का इंतजार कर रही फसलें तबाह हो गई हैं. रविवार की रात आसमानी कहर से कुछ ऐसा ही दृश्य देखने को मिला. जनपद के कई इलाकों में तेज आंधी तूफान बारिश व ओलावृष्टि से बची खुची फसलों को काफी हद तक नुकसान हुआ है. वहीं तेज आंधी में कई कच्चे घर की दीवारें भी हिल गईं.
लॉकडाउन की वजह से कच्छप गति से चल रहे कृषि कार्यों किसानों की मेहनत पर आसमान की टेढ़ी नज़र भारी पड़ रही है. रविवार रात तेज आंधी बारिश व ओलों ने फसलों को खासा नुकसान पहुंचाया है. रबी की फसलों पर की गई मेहनत पर ओलों व बारिश ने ऐसा पानी फेरा कि खेत खलिहानों में रखी फसलें दम तोड़ गईं. लॉकडाउन की वजह से इस बार गेंहू आदि रबी की फसलों की कटाई मड़ाई कुछ देर से शुरू हुई जिसकी वजह से काफी किसानों की फसलें अभी खेत खलिहानों में ही अंगड़ाई ले रही हैं.
जनपद के कई ग्रामीण क्षेत्रों में आंधी बारिश व ओलावृष्टि ने फसलों की तबाही की इबारत लिख डाली. मऊ मानिकपुर राजापुर जैसे बड़े इलाकों में किसानों को काफी नुकसान हुआ है. वहीं तूफान की वजह से कच्चे घर भी डगमगा गए.