रिपोर्ट-संजय सिंह राणा
चित्रकूट-रामनगर सहकारी समिति खाद वितरण में खाद खरीदने को लेकर किसानों में हाहाकार मची हुई। खाद इतनी कम मात्रा मे आई है कि कुछ लोगों को मिलती है बाकी लोग खाद से वंचित रह जाते हैं। रामनगर सहकारी समिति में काफी आज भीड़ देखने को मिली रामनगर के सहकारी समिति सोसायटी रामनगर के लोग खाद वितरण को लेकर काफी किसानों में मारामारी दूसरी तरफ देखा जा रहा है की ओलावृष्टि से किसान परेशान हो गए लेकिन जो भी फसल बाकी है अब खाद को लेकर परेशान हैं।
विडंबना यह है कि जब भी कृषि उत्पाद बाजार में आता है तो उसके मूल्य निरंतर गिरने लगते हैं और मध्यस्थ सस्ती दरों पर उसका माल क्रय कर लेते हैं जिससे कृषि घाटे का व्यवसाय बना हुआ है। दुर्भाग्य है कि संबंधित लोग औद्योगिक क्षेत्रों के उत्पादन की दरें लागत, मांग और पूर्ति का ध्यान में रखते हुए निर्धारित करते हैं किंतु किसान की जिंसों का मूल्य या तो सरकार या क्रेता द्वारा निर्धारित किया जाता है उसमें भी तत्काल नष्ट होने वाले उत्पाद की बिक्री के समय किसान असहाय दिखाई देता है। ऐसी दशा में क्रय-विक्रय व्यवस्था को मजबूत और पारदर्शी बनाया जाना चाहिए और उसके उत्पाद का मूल्य भी मांग, पूर्ति और लागत के आधार पर किसान को निर्धारित कर लेने देना चाहिए।
सर्वविदित है कि किसानों का कहीं उत्पाद इतना अच्छा और अधिक हो जाता है कि सड़ने लगता है और किसान उसे फेंकने को मजबूर हो जाता है और कभी-कभी उत्पाद इतना कम होता है कि उसे मध्यस्थ सस्ती दरों पर क्रय कर उच्च दरों पर बिक्री कर बीच का मुनाफा ले लेता है और किसान ठगा-सा रह जाता है। आज प्याज और लहसुन की कीमत इसी की देन है।