संजय सिंह राणा की स्पेशल रिपोर्ट..
चित्रकूट। जिले के पठारी क्षेत्रों में निवास कर रहे ग्रामीणों का जनजीवन देखते बनता है जहाँ पर दलित आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में आम जनमानस की दुर्दशा किसी से छिपी नहीं है l
यह गरीब परिवार जंगलों से लकड़ी काटकर जीवनयापन करते हैं व जंगलों से लकड़ी काटकर नजदीकी बाजार में बेच कर परिवार भरणपोषण करते हैं l
गरीब आदिवासियों के जीवन की दास्तां इस प्रकार है कि इनके मासूम बच्चे बीहड़ों में भटकते हुए लकड़ी लाकर परिजनों को देते हैं तभी इनके खाने पीने का इंतजाम हो पाता है l इन नौनिहालों के बचपन की कहानी इस कदर बनी हुई है कि इनको शिक्षा नसीब नहीं हो पा रही है l ग्रामीण बच्चा देवी द्वारा बताया गया कि जंगलो से लकड़ी काटकर बाजार में बेचते हैं जो भी सौ पचास रुपये मिलते हैं उसी से सीधा पिसान लेकर बच्चों को खिलाते हैं l
ठण्ड से बचने के लिए यह गरीब लोग पूरी रात अलाव जलाकर व्यतीत करते हैं व जब ज्यादा नींद लगने लगती है तो वहीं पर अलाव के किनारे सो जाते हैं l
इन गरीब लोगों को सरकारी योजनाओं का लाभ तक नहीं मिल पा रहा है जिसके चलते इन गरीब आदिवासियों के बुरे हालात हैं l