संजय सिंह राणा की रिपोर्ट
मानिकपुर(चित्रकूट)। मध्य भारत का बुंदेलखंड क्षेत्र हमेशा से अनदेखी का शिकार रहा है जहां पर लोगों को सरकार द्वारा संचालित जन कल्याणकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है l
बुंदेलखंड के अंतर्गत आने वाले चित्रकूट जिले के पठारी इलाके मानिकपुर में सरकारी योजनाओं का अभाव देखते ही बनता है जहां जिम्मेदार अधिकारियों की मनमानी व प्रधानों व सचिवों की मिलीभगत से सरकारी पैसे का जमकर बंदरबांट किया जा रहा है पाठा के विकास हेतु जहां सरकार द्वारा करोड़ों रुपए की धनराशि स्वीकृत कर योजनाएं संचालित की जा रही हैं तो वहीं दूसरी ओर इन योजनाओं पर जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा भारी लापरवाही बरती जा रही है l जिसके कारण आज भी पाठा के हालात देखते ही बनते हैं l
पाठा के गरीब लोगों को सरकार की जन कल्याणकारी योजनाओं से वंचित किया जा रहा है l
ऐसा ही मामला देखने को मिला है मानिकपुर विकासखंड में तैनात तकनीकी सहायक का l
जहां तकनीकी सहायक की मनमानी इस कदर हावी है कि सरकार द्वारा संचालित योजनाओं में सरकारी पैसे का खुला बंदरबांट किया जा रहा है जिसके कारण गांव के विकास के लिए आए पैसे पर खुला भ्रष्टाचार देखा जा सकता है l
ग्राम पंचायतों के कार्यों में तकनीकी सहायक की मनमानी इस कदर हावी है कि खुद अवर अभियंता बनकर एमबी करते नजर आते हैं व ग्राम प्रधानों के ऊपर दबंगई दिखाते हुए मनमाने तरीके से पैसे निकालते हैं और कार्य भी नहीं कराते हैं l विकासखंड में तैनात तकनीकी सहायक पवन सिंह की मनमानी देखते ही बनती है जहां तकनीकी सहायक के कार्यक्षेत्र में आने वाले ग्राम पंचायतों के विकास कार्यों पर पलीता लगाया जा रहा है व सरकारी पैसे का जमकर बंदरबांट किया जा रहा है l
तकनीकी सहायक पवन सिंह अपने पिता रामेश्वर प्रताप सिंह के नाम क्षेत्र पंचायत में रजिस्ट्रेशन करवाएं हुए हैं जिसके चलते ब्लाक के अंतर्गत आने वाले ज्यादातर कार्य रामेश्वर प्रताप सिंह के द्वारा ही कराए जा रहे हैं ब्लॉक प्रमुख मानिकपुर व खंड विकास अधिकारी मानिकपुर की मिलीभगत के चलते ठेकेदार रामेश्वर प्रताप सिंह मनमाने तरीके से कार्य करवा रहे हैं व तकनीकी सहायक पवन सिंह उनकी एम बी करते हुए दिखाई देते हैं l
स्थानीय होने के चलते पवन सिंह की दबंगई देखते ही बनती है जिसमें दबंगई के बल पर ग्राम प्रधानों का शोषण किया जा रहा है lक्षेत्र पंचायत द्वारा ददरी, रुखमा खुर्द व सकरौहा में कराये गये कार्यों में जमकर लीपापोती की गई है व फ़र्जी तरीके से सरकारी धन का बंदरबाट किया गया है वहीं ग्राम पंचायत अगरहुडा में तकनीकी सहायक की मनमानी खूब देखने को मिली थी जहाँ पर बिना कार्य कराए ही भुगतान कर दिया गया था जिसमें सचिव धर्मपाल यादव के ऊपर कार्यवाही हो गई थी लेकिन ग्राम प्रधान उमा सिंह, तकनीकी सहायक पवन सिंह सहित अन्य जिम्मेदार अधिकारियों के ऊपर कोई कार्यवाही नहीं हो सकी है l जबकि जाँच अधिकारियों द्वारा ग्राम पंचायत के विकास कार्यों में हुई लीपापोती में दोषी पाए गए थे l
सूत्रों के अनुसार पता चला है कि तकनीकी सहायक पवन सिंह व एक महिला प्रधान के बीच कुछ दिनों पहले विवाद हो गया था जिसके कारण काफी हो हल्ला मचा हुआ था lअनुसूचित जाति की महिला प्रधान ने तकनीकी सहायक के ऊपर जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल करने व ग्राम पंचायत में मनमाने तरीके का कार्य करने का आरोप लगाते हुए f.i.r. तक दर्ज कराने गई हुई थी जिसमें थाना प्रभारी द्वारा आपस में समझौता करा दिया गया था तब जाकर तकनीकी सहायक पवन सिंह द्वारा कुछ समझदारी से कार्य किया जाने लगा था l लेकिन भ्रष्टाचार में लिप्त तकनीकी सहायक की मनमानी आज भी सर चढ़कर बोल रही है ग्राम पंचायतों में जितने भी कार्य कराए जा रहे हैं उन पर तकनीकी सहायक पवन सिंह द्वारा दबंगई के बल पर दबाव बनाकर मनमाने तरीके से मानक विहीन कार्य कराए जा रहे हैं व फर्जी भुगतान किए जा रहे हैं l
ग्राम प्रधानों का आलम यह है कि दबंग तकनीकी सहायक के ऊपर कुछ बोलने को तैयार नहीं है l
सूत्रों के अनुसार पता चला है कि तकनीकी सहायक पवन सिंह अपने भाई के नाम संपत्ति बना रहा है l
तकनीकी सहायक पवन सिंह के ऊपर पहले भी भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे जिसमें परियोजना अधिकारी द्वारा निलंबित कर दिया गया था लेकिन सबसे बड़ी सोचने वाली बात यह है कि भ्रष्ट तकनीकी सहायक को दोबारा तैनाती किसने दी ? यह एक जांच का विषय है l
मात्र 10 से ₹11000 वेतन पाने वाला तकनीकी सहायक करोड़ों की संपत्ति का मालिक कैसे बन गया l
आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने वाले तकनीकी सहायक के ऊपर आखिर जिला प्रशासन कब ठोस कार्यवाही करने का काम करेगा?