- ग्राम पंचायतों के विकास कार्यों में हाबी ठेकेदारी प्रथा
- कमीशन खोरी के चलते जिम्मेदार भी रहते खामोश
रिपोर्ट- संजय सिंह राणा
चित्रकूट– आधुनिक भारत का सपना संजोए सरकार द्वारा ग्राम पंचायतों के विकास को लेकर करोड़ों रुपए की धनराशि स्वीकृत कर विकास कार्य कराए जा रहे हैं लेकिन ग्राम पंचायतों में ठेकेदारी प्रथा ने ऐसे शिकंजा कस रखा है कि ग्राम प्रधान व सचिव ठेकेदारों के मनमानी का शिकार हो रहे हैं व ग्राम पंचायतों में कराए जा रहे कार्यों में ठेकेदारों की मनमानी खूब देखने को मिल रही है जहां पर मानक विहीन कार्य कराते हुए सरकारी धन का जमकर दुरुपयोग किया जा रहा है l
ग्राम पंचायतों के विकास कार्यों के हालात ऐसे हैं कि ठेकेदारों की मनमानी रोकने में जिम्मेदार अधिकारी भी खामोश नजर आते हैं कमीशन खोरी के चलते ठेकेदारों ने ऐसा शिकंजा कस रखा है कि मनमाने तरीके से कार्य कराकर भुगतान कराए जा रहे हैं वही जिम्मेदार अधिकारी भी बिना कार्यों के जांच किए हुए ही भुगतान करते हुए नजर आ रहे हैं lग्राम पंचायतों में जहां राज्य वित्त व 14 वित्त के जरिए आई धनराशि पर ठेकेदार अपनी मनमानी करते हुए नजर आ रहे हैं वहीं दूसरी ओर मनरेगा के तहत कराए गए कार्यों में भी ठेकेदारों की मनमानी खूब देखने को मिल रही है जहां पर मानक विहीन कार्य कराते हुए लीपापोती करते हुए नजर आ रहे हैं l
राज्य वित्त व 14वें वित्त के लिए आई धनराशि में जहां हैंडपंपों की मरम्मत व सरकारी बिल्डिंगों के निर्माण कार्य, स्ट्रीट लाइट ,सोलर लाइट आदि का कार्य कराकर जहां सरकारी धन का बंदरबांट किया जा रहा है वहीं दूसरी ओर मनरेगा योजना में कुशल और अकुशल श्रमिकों व सामग्री के नाम पर सरकारी धन का बंदरबांट किया जा रहा है l
ठेकेदार द्वारा फर्म के नाम बिल बनाकर मनमाने तरीके से सरकारी धन का बंदरबांट किया जा रहा है जिले में ऐसे कई ठेकेदार हैं जिनके द्वारा या तो मानक विहीन कार्य कराए गए हैं या फिर बिना कार्य कराए ही भुगतान करवा लिया गया है ग्राम प्रधान व सचिव की मिलीभगत से यह लोग अपने मनमानी करते हुए नजर आ रहे हैं l
ग्राम पंचायतों के विकास को लेकर आई धनराशि में ठेकेदार गिद्ध जैसी नजर गड़ाए बैठे रहते हैं व जैसे ही ग्राम पंचायतों के खातों में पैसा आता है तो तुरंत ही पैसा निकाल कर कमीशन खोरी करते हुए बंदरबांट कर दिया जाता है l
वही मनरेगा कार्यों के नाम पर ठेकेदारों द्वारा लीपापोती करते हुए कार्य कराकर सरकारी धन का बंदरबांट किया जा रहा है l
ग्राम पंचायतों में इंटरलॉकिंग खड़ंजा निर्माण ,डब्ल्यूबीएम रोड़,कच्चा संपर्क मार्ग, पुलिया निर्माण ,नाली निर्माण ,नाला निर्माण व सरकारी बिल्डिंगों का मरम्मतीकरण कार्य हो या विद्यालयों का मरम्मत कार्य हर जगह विकास कार्य कमीशन खोरी की भेंट चढ़ रहे हैं l
वही विद्यालयों के मरम्मतीकरण में ठेकेदारों व ग्राम प्रधानों व सचिवों की मनमानी खूब देखने को मिल रही है जहां पर घटिया सामग्री का उपयोग कराकर विद्यालयों का मरम्मतीकरण कराया जा रहा है व घटिया सामग्री लगाकर टाइल्स निर्माण या खिड़की दरवाजे सहित अन्य कार्य कराए जा रहे हैं l
आज ग्राम पंचायतों में विकास कार्यों की हकीकत देखते ही बनती है जहां पर सरकारी धन का दुरुपयोग किस तरह किया जाता है यह जरूर देखने को मिलता है l
गत वर्षो पूर्व ग्राम पंचायतों के विकास के लिए कम धनराशि उपलब्ध कराई जाती थी लेकिन विकास कार्य ज्यादा होते थे वही आज हालात ऐसे हैं कि ज्यादा धनराशि आने के बावजूद भी विकास कार्य कम कराए जा रहे हैं आखिर इसका जिम्मेदार कौन है l ग्राम पंचायतों में सरकारी धन आने के बावजूद भी विकास कार्य सही तरीके से नहीं हो पा रहे हैं जबकि जिलाधिकारी महोदय व मुख्य विकास अधिकारी महोदय समय-समय पर विकास कार्यों की समीक्षा बैठक कर जिम्मेदार अधिकारियों को निर्देश देते नजर आते हैं लेकिन यही लापरवाह अधिकारी अपनी मनमानी करते हुए ठेकेदारों को बढ़ावा देते नजर आते हैं जिसके कारण ठेकेदारी प्रथा ने ग्राम पंचायतों के विकास कार्यों में शिकंजा कसने का काम किया है व ग्राम प्रधान व सचिव सिर्फ कठपुतली बनकर नाचते हुए नजर आते हैं जिसके कारण यह विकास कार्य सिर्फ कागजी कोरम पूरा कर निपटा दिया जाता है जब इन विकास कार्यों की गहराई से जांच पड़ताल की जाती है तो कागजी कोरम में ज्यादा काम दिखा कर पैसे का बंदरबांट किया जाता है जबकि जमीनी हकीकत में यह विकास कार्य नजर नहीं आते हैं l
कई ग्राम प्रधान व सचिव ऐसे हैं जो ठेकेदारों से मिलकर कागजों में ही विकास कार्य करा लेते हैं व सरकारी पैसे का बंदरबांट करते हुए नजर आते हैं l
घटिया निर्माण कार्य कराने के चलते ठेकेदारों का हाल अब यह हो गया है कि सिर्फ दो चार साल ठेकेदारी करने के बाद ठेकेदार करोड़ों की संपत्ति के मालिक बन बैठते हैं जिन ठेकेदारों के घर में दो वक्त की रोटी नहीं मिल पाती थी वह ठेकेदार आज लग्जरी गाड़ियों के मालिक बन कर सिर्फ दो चार सालों में ही करोड़ों की संपत्ति का मालिक बन बैठे है l
आखिर ऐसे ठेकेदारों पर जिला प्रशासन द्वारा कब शिकंजा कसने का काम किया जाएगा यह एक बड़ा ही सोचनीय है l
क्या इन ठेकेदारों द्वारा की गई मनमानी पर जिला प्रशासन लगाम लगाने का काम कर पाएगा या फिर इनकी मनमानी ऐसी ही चलती रहेगी l
वही ठेकेदारी प्रथा पर इनकम टैक्स का कोई हिसाब किताब नहीं है विभाग द्वारा जमकर मनमानी करते हुए इन ठेकेदारों के साथ मिलकर सरकारी राजस्व को चूना लगाने का काम किया जाता है l