रिपोर्ट- संजय सिंह राणा
चित्रकूट- भगवान राम की तपोभूमि चित्रकूट में बंदरों का हमेशा से जमावड़ा लगा रहता है जहां पर कामदगिरि परिक्रमा मार्ग पर बंदरों को खाना पानी देने के नाम पर राजनीतिक लोगों द्वारा व प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा खूब ढकोसले किए जाते रहे हैं जहां पर इन बेजुबान वन्य जीवों को खाना पानी दिए जाने के नाम पर खूब वाहवाही भी लूटी गई है जिसको लेकर सरकार द्वारा समाजसेवियों को सम्मानित भी करने का काम किया था लेकिन आज उन्हीं बंदरों की दुर्गति देखते ही बनती है जहां पर इनकी देखरेख व करने वाला कोई नहीं है l
ऐसा ही एक मामला सामने आया है चित्रकूट जिला मुख्यालय के एडीओ पंचायत कार्यालय के सामने घायल अवस्था में पड़े एक बंदर का
एडीओ पंचायत कार्यालय के सामने घायल अवस्था में पड़े बंदर को दुर्घटना का शिकार हुए कई दिन हो गए लेकिन ना तो किसी नेता को दिखाई दिया और ना ही किसी समाजसेवी को और ना ही किसी प्रशासनिक अधिकारियों को.।जो भी इसको देखता था सिर्फ देखकर चला जाता था l
आज कुछ लोगों की नजर इस बेजुबान बंदर पर पड़ी जो घायल अवस्था में तड़प रहा था व घायल होने के कारण इसके शरीर पर कीड़े पड़ गए जिसको लेकर राहगीरों द्वारा घायल बंदर पर पेट्रोल डालकर कीड़े निकालने का प्रयास किया गया जिसके कारण हो सकता है कि इस बेजुबान बंदर की जान बच सकती है l
लेकिन सबसे बड़ी सोचने वाली बात यह है कि बंदरों को खाना पानी दिए जाने के नाम पर राजनीतिक , समाजसेवियों व प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा खूब खाना पीना दिए जाने का काम किए जाते हैं लेकिन आज इस बंदर की हालत देखकर ऐसा लगता है जैसे कि इस बेजुबान बंदर का संरक्षण दाता कोई नहीं है l
सोचनीय यह भी है कि जिम्मेदार विभाग भी आंखों पर पट्टी बांधे हुए बैठा है जिसके कारण इनका जीना दुर्लभ है l
आखिर जिम्मेदार विभाग इस बंदर की जान बचा पाएगा या नहीं…यह एक बड़ा सवाल है l
अगर इस बंदर का सही तरीके से इलाज हो गया तो इस बेजुबान जीव की जान बच सकती है l आखिर जिम्मेदार विभाग के लापरवाह अधिकारियों को यह वन्य जीव प्राणी की सेवा करने के नाम पर नाम कमाने का काम किया जाता है वही इनका संरक्षण क्यों नहीं है l
राजनेताओं, समाजसेवियों व प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारियों सहित वन्यजीव विभाग के जिम्मेदार अधिकारी भी इन बेजुबानों की जान बचाने के लिए आगे नहीं आ रहे हैं l
सबसे बड़ी सोचने वाली बात यह है कि इन बेजुबान बंदरों को खाना व पानी दिए जाने के नाम पर कई समाजसेवियों को सरकार द्वारा प्रशस्ति पत्र भी दिया गया है लेकिन आज वह समाजसेवी कहां गायब हो गए हैं lयह एक बड़ा सवाल है l
क्या जिला प्रशासन इस बेजुबान बंदर को बचाने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों व डॉक्टरों की टोली भेजने का काम करेगा या फिर यह बंदर बेजुबान तड़प तड़प कर अपनी जान देने का काम करेगा l