राम के समान पुष्पवान शीलवान नहीं ,चाहे कोई वेद व पुराण देख लीजिये
रिपोर्ट- संजय सिंह राणा
चित्रकूट- भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी जी एवं शिक्षा क्षेत्र के पुरोधा प. मदन मोहन मालवीय जी के जन्मदिवस के मौके पर माँ आनंदी के पावन धाम मऊ में शुक्रवार को परहित सेवा संस्थान और चित्रकूट समाचार के संयुक्त तत्वाधान में अटल काव्यांजलि का भव्य आयोजन किया गया। परिहित सेवा संस्थान के प्रबंधक अनुज हनुमत और युवा समाजसेवी अजय मिश्र ने समाज के विभिन्न क्षेत्रों में संघर्ष करने वाले एक सैकड़ा युवाओं को कोरोना योद्धा सम्मान से सम्मानित किया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पूर्व ब्लाक प्रमुख नवलकिशोर मिश्र , अध्यक्ष शंकर प्रसाद द्विवेदी और विशिष्ट अतिथि चेयरमैन विनोद द्विवेदी ने अटल विहारी वाजपेयी जी और मदनमोहन मालवीय जी के चित्र पर पुष्पार्जन करते हुए दीप प्रज्वलन किया ।
परहित सेवा संस्थान के प्रबंधक अनुज हनुमत ने पूर्व ब्लाक प्रमुख नवकिशोर मिश्र को अटल रत्न सम्मान 2020 से सम्मानित किया।
कार्यक्रम के दौरान युवा समाजसेवी अजय मिश्र , समाजिक चिंतक गणेश मिश्र , अन्नू मिश्र , सचिन वन्दन, हेमनारायण द्विवेदी, अनिल अनिर्वाय , सौरभादित्य, राघवेंद्र तिवारी , अतुल द्विवेदी ,आकाश द्विवेदी , आशीष द्विवेदी , राजीव तिवारी , शिवसागर सिंह, प्रिंस मिश्र, नागेश्वर निषाद, शिवम शुक्ला, विजय सिंह, पुनीत त्रिपाठी, शुभम द्विवेदी, गोलू द्विवेदी , रवि गुप्ता, प्रशांत कुमार, श्यामनारायण शुक्ला, नरेंद्र सिंह ,विजय मिश्र और शारदा अग्रहरि सहित एक सैकड़ा युवाओ को कोरोना योद्धा के सम्मानित किया गया ।
कार्यक्रम में विभिन्न राज्यों से कवियों का आगमन हुआ ,जिसमें महेंद्र मधुर , आयुषी त्रिपाठी, आयुषी भंडारी , श्रीनारायण तिवारी , जय अवस्थी, अनुभव अज्ञानी, अम्बिका मिश्र नम्बर ,सुनील नवोदित और दीपक तिवारी ने कार्यक्रम में अपनी रचनाओं से फिजा बांध दिया ।
कवि दीपक तिवारी ने ” इस राम कृष्ण की धरती पर आजाद हिंद परिवर्ती पर , ऐसा परिवर्तन विद्यमान की सत्य धर्म है अर्थी पर ” ,कवि आयुषी त्रिपाठी ने “मैं दुर्गा हुं मैं काली हुँ मैं भारत की ही नारी हूँ ,आता क्रोध भी मुझको न समझो मैं बेचारी हूँ , जो दोगे ठेस थोड़ी भी मेरे पावन हृदय को तुम, तुम्हारा सर कलम कर दूंगी ऐसी मैं कटारी हूं” , कवि जय अवस्थी ने “गर्मी में तपते ऐसे जैसे भारत माँ का कुंदन हो, सबसे पहले धरती के इन वीरों का वन्दन हो, जड़ी दुपहरी देखे न देखे कोई ठंडक को ,शाम सबेरे डटा ही रहता जैसे कोई बंधक हो” ,कवि आयुषी भंडारी ने “तैरते पत्थरो में भी श्रीराम देखे हैं ,हमने शबरी के बैरो में राम देखे हैं ,कोई जर्रा ऐसा न जहां मेरे प्रभु ,हमने हनुमान के सीने में राम देखे हैं” , कवि सुनील नवोदित ने ” भारत को एकता के सूत्र में पिरोने वाले , एकता अखंडता की मूर्ति मालवीय जी , सादगी व सौम्यता से अन्तःस भिगोने वाले ,भारतीयता की प्रतिमूर्ति मालवीय जी” ,कवि अनुभव अज्ञानी ने “दो चार पैग और मेरे यार बना ले , पेन कार्ड पेंटियम आधार बना ले, दो दिन कहीं लाहौर में टिक जाए अमित शाह पाक में भी भाजपा सरकार बना ले ” ,कवि अम्बिका प्रसाद मिश्र अम्बर ने ” वो अटल थे अटल ये अटल ही अटल थे , वो सहज थे सरल थे सरल ही सरल थे ” ,कवि श्रीनारायण तिवारी ने “तेरी औकात क्या है जो मुझे मिटाएगा ,मैं तो कुंदन हूँ जो शोलो में हँसके जीता हूँ , अरे वह नाग देखकर कंठ मेरा नीला है, मैं शिव हूँ जो कि विष भी हसँ के पिता हुं” ,कवि महेंद्र मधुर ने ” राम के समान पुष्पवान शीलवान नहीं ,चाहे कोई वेद व पुराण देख लीजिये” की पंक्तियों ने अटल काव्यांजलि कार्यक्रम में चार चांद लगा दिए।