मुजफ्फरपुर : हर व्यक्ति की बोलने की मर्यादा सीमा होती है वह उसी दायरे में रहकर बोलता है फिर अगर वह किसी देश या प्रदेश का सीएम या पीएम है तो उसे अपनी भाषा का प्रयोग बहुत सोच समझ कर करना चाहिए तथा मर्यादित भाषा ही प्रयोग करनी चाहिए उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ की गिनती ऐसे लोगों में होती है जो बोलने से पहले सोचते समझते नहीं हैं या यूं कहें राजनीति में सब जायज है के साथ वे बोलने में हिचकिचाते नहीं
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ मुजफ्फरपुर के सीजेएम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है। इसमें एक भाषण में योगी की विवादित ‘अब्बा जान’ वाली टिप्पणी को लेकर आपत्ति जताई गई है।सीएम पर मुस्लिमों की धार्मिक भावनाएं आहत करने को लेकर केस दर्ज करने की मांग की गई है।
दरअसल, सामाजिक कार्यकर्ता तमन्ना हाशमी ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में याचिका दायर की। तमन्ना ने आरोप लगाया है कि भाजपा नेता की टिप्पणी से मुस्लिम समुदाय का अपमान हुआ है। उन्होंने इस बयान को लेकर आईपीसी की धारा-295, 295(क), 296, 51, के तहत मुकदमा दर्ज कराया है। वहीं मुजफ्फरपुर के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी ने तमन्ना हाशमी की याचिका को स्वीकार कर लिया। अदालत ने मामले में सुनवाई के लिए 21 सितंबर की तारीख तय की है।
बता दें कि सीएम योगी ने रविवार को यूपी के कुशीनगर में एक कार्यक्रम में कहा था कि 2017 में उनके सत्ता में आने के बाद ही उत्तर प्रदेश में सार्वजनिक वितरण प्रणाली प्रभावी हो सकी, क्योंकि इससे पहले गरीबों के राशन का इस्तेमाल ‘अब्बा जान कहने वाले’ करते थे। अब्बाजान शब्द का इस्तेमाल मुसलमानों द्वारा अपने पिता को संबोधित करने के लिए किया जाता है।