अयोध्या: राम की जन्म स्थली अयोध्या नगरी के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री सीएम योगी आदित्यनाथ ने कई बड़े ऐलान किए हैं। वैसे तो अयोध्या नगरी राम की जन्म स्थली होने के कारण पहले से ही काफी प्रचलित थी। अयोध्या को लेकर लोगों के मन में पहले से ही काफी श्रद्धा का भाव था, लेकिन सीएम योगी ने इसे कई नई घोषणाओं के साथ और भव्य बनाने का काम किया है। इसी दिशा में सीएम योगी द्वारा किया गया एक और बड़ा ऐलान जिसके तहत अयोध्या नगरी को इस वर्ष दिवाली के अवसर पर मिट्टी के बने दीपों से जगमगाया जाएगा इन दीपो की संख्या लगभग 7 लाख होगी।
वाराणसी के कमच्छा इलाके में स्थित काशी हिंदू विवि के शिक्षा संकाय के चाणक्य सभागार में आयोजित शिक्षक दिवस के मौके पर आयोजित प्रबुद्ध सम्मेलन के दौरान सीएम योगी ने 11 शिक्षकों को मंच पर बुलाकर अपने हाथों सम्मानित भी किया.
मंच से बोलते हुए सीएम योगी ने बताया कि इस वर्ष अयोध्या के लिए साढ़े 7 लाख दीपक बनकर तैयार हो गया है. यह केवल दिया नहीं है, बल्कि रोजगार भी है. प्रजापति लोगों को इससे काफी रोजगार भी मिलता है. कुम्हार मिट्टी के लिए परेशान होते तो प्रदेश सरकार ने स्कीम निकाली कि अप्रैल-जून तक हम इनको तालाबों से मिट्टी फ्री में निकालने के लिए देंगे. पानी संरक्षण के लिए तालाब की खुदाई फ्री में हो जाती थी तो उनको मिट्टी भी फ्री में मिलना शुरू हो गयी.
उन्होंने अगले पांच वर्षों में यूपी के लोगों की प्रति व्यक्ति आय राष्ट्र के लोगों के प्रति व्यक्ति आय से ज्यादा पहुंचाने का भी वादा किया और बताया कि 1947 के आसपास यूपी के लोगों की आय राष्ट्रीय प्रति व्यक्ति के आय के समकक्ष थी. जो 2016 आते आते एक तिहाई हो गई. आज एक बार फिर इसने जो छलांग लगानी शुरू की है. मेरा अनुमान है कि आने वाले पांच वर्षों में यूपी के लोगों की प्रति व्यक्ति आय भी देश के प्रति व्यक्ति आय से अधिक होती दिखाई देगी. इसमें किसी को संदेह नहीं होना चाहिए. इस तरह यूपी के बारे लगाई जा रही धारणाएं निर्मूल साबित हुई हैं.
सीएम योगी ने मंच से बोलते हुए चिकित्सकीय व्यवस्था के पर्याप्त संसाधन का भी दावा किया और बताया कि आज हम लोगों के पास पर्याप्त मात्रा में बेड मौजूद हैं. कोरोना के समय यूपी में आने वाले लोगों का स्कील मैपिंग करने वाला पहला राज्य बना. चीन का पांच हजार करोड़ का निवेश भी यूपी में लेकर आए. इसके बाद 66 हजार करोड़ का भी निवेश हुआ. ऑक्सीजन के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को हासिल किया है. आजादी के बाद देश में एक ट्रेंड चलाने की कोशिश की गई कि जो भारतीयता से जुड़ा है उसे हतोत्साहित करो और जो भारतीयता के मार्ग में बाधक बने उसे प्रोत्साहित करो. यही होता रहा है.
उन्होंने कहा, ”आजादी के बाद किसी देश के राष्ट्राध्यक्ष बाबा विश्वनाथ दर्शन करने आते भी थे तो चोरी छिपे दर्शन करके निकल जाते थे. लेकिन किसी विशिष्ट आयोजन के तहत आए ऐसा नहीं होता था. अयोध्या तो उनकी दृष्टि से दूर था. मथुरा भी नहीं आते थे. यह हमारी आस्था के केंद्र बिंदु हैं. ऐसी जगह लोग आने में संकोच महसूस करते थे. ”
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि उनको लगता था कि ये उनकी पहचान के आड़े आ रहे हैं. इसलिए वे नहीं आते थें. लेकिन जब से प्रधानमंत्री जी ने देश और दुनिया में एक एजेंडा के रूप में प्रस्तुत किया तब से एक होड़ लगी है. अपनी सनातन पहचान को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत करने का जो तरीका है. आजादी के तत्काल बाद जिसने सोमनाथ मंदिर के शुभारंभ कार्य का विरोध किया और आज अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के प्रत्यक्ष रूप से उपस्थित होकर पांच सदी के इस इंतजार को दूर करके सनातन आस्था के खुद को जोड़कर गौरव की अनुभूति कर रहा हो. यही पहचान होती है कि संकट के समय कौन आपकी आस्था के साथ खड़ा है?
उन्होंने आगे बताया कि काशी में काशी विश्वनाथ धाम नए कलेवर में बन रहा है. इस पूरे प्रोजेक्ट के पूरा होने पर काशी पूरी दुनिया में नए वैश्वीक मंच पर देखने को मिलेगा. 1916 में काशी हिंदू विवि के अद्घाटन में महात्मा गांधी आए थें और तब वे काशी विश्वनाथ दर्शन करने भी गए थें. तब उन्होंने गंदगी देखकर तीखी टिप्पणी भी की थी. गांधी जी के नाम पर अनेक लोगों ने सत्ता हासिल की, लेकिन गांधीजी के भावनाओं के काशी विश्वनाथ बन सके, यह मोदीजी ने ही किया है. काशी में हुआ यह प्रयोग, विंध्वासिनी, अयोध्या और मथुरा में भी ऐसी ही परियोजना लागू हुई है.