आत्माराम त्रिपाठी की रिपोर्ट
बांदा कोविड 19 कोरोनावायरस के चलते देश में लागू लाक डाउन में सभी घरों में रह रहे हैं अगर कोई घर में नहीं है तो वह है धरती पुत्र किसान जो सूखा ओलावृष्टि अतिब्रष्टि अब कोरोनावायरस से विना प्रभावित हुए अपनी धुन पे आगे बढ़ता चला जा रहा है ।बस एक ही धुन मुझे अपने देश वासियों को अन्न का भंडार देना है जिससे देश में कोई भूखा न रहे । खुद तपता है पर दूसरे के लिए वह दिन रात्रि मेहनत करता है किन्तु मजाल क्या जो चेहरे पर शिकन आ जाए । धैर्य इतना जिसकी कोई सीमा नहीं है सूखा पड़ा पर निराशा को नजदीक नहीं फटकने देता अतिब्रष्टि ओलावृष्टि से उसकी फसलें बर्वाद हुई पर वह घबडाया नहीं संघर्ष करता रहा आज कोरोना ने देश में अपने जहरीले पंख फैला रखें है सब मिलकर उससे जंग लड रहे हैं वहीं यह धरती पुत्र किसान निर्भय हो आत्मबल से सराबोर अपने तरीके से जंग लड रहा है कि हे देशवासियों तुम घबडाना नहीं हम अन्न भंडार में अन्न की कमी आड़े नहीं आने देंगे हम धूप बर्दाश्त करेंगे और अपनी खेती से अन्न पैदा कर अपने देश के अन्य भंडार भर देंगे और वह लग जाता है अपने मिशन में सो इस धरती पुत्र को सल्यूट के साथ बरबस मुख से निकल आया की वाह तेरा क्या कहना है।