बाल मैत्रीपूर्ण एवं आकर्षक हो विद्यालय का परिवेश
अर्पित श्रीवास्तव की रिपोर्ट
बांदा। शैक्षिक संवाद मंच की पाक्षिक कार्यशाला में विद्यालयों को आनंदघर के रूप में बदलने के अनुभव को साझा करते हुए शिक्षकों ने बताया कि समाज के प्रति अपनेपन का भाव आवश्यक है। विद्यालयों का परिवेश सुरम्य हो और बाल मैत्रीपूर्ण भी। विद्यालय ऐसा रचना स्थल बनें जहां बच्चे खुशी-खुशी आना चाहें, रुकना चाहें, कुछ नया करना चाहें।
शैक्षिक संवाद मंच उ.प्र. द्वारा गत दिवस आयोजित वेबिनार ‘विद्यालय बने आनंदघर : एक संवाद: विषयांतर्गत प्रदेशभर से जुड़े शिक्षक- शिक्षिकाओं ने अपने अनुभव साझा किए। वेबिनार का आरंभ डा. सुमन गुप्ता (झांसी) द्वारा प्रस्तुत एकल गीत ‘हम नौजवान देश के बढ़ते ही जायेंगे’ से हुआ। कार्यक्रम की भूमिका रखते हुए प्रमोद दीक्षित मलय (बांदा) ने कहा कि हम सब अपने विद्यालयों को खुशी की पाठशाला बनाएं। विद्यालय केवल भवन नहीं होता। शिक्षक, बच्चे, कार्यक्रम और समुदाय के परस्पर सहभागिता और क्रियान्वयन से विद्यालय प्राणवानहो जाता है। बच्चों के चेहरों पर उपजी खुशी किसी विद्यालय का आनंदघर बन जाना है। तत्पश्चात डा. श्रवण गुप्ता (वाराणसी) ने विचार रखे कि शिक्षकों, बच्चों एवं अभिभावकों में विद्यालय के प्रति व्यवहार परिवर्तन आवश्यक है। शिक्षा में संवेदनशीलता और बच्चों की सीखने की गति का आकलन कर सतत प्रेरित करते रहने की जरूरत है। बच्चों की क्षमताएं समझकर सकारात्मक सहयोग देने से उनकी प्रतिभा का विकास होता है। शाहजहांपुर से अमिता शुक्ला ने अनुभव व्यक्त किया कि मैं विद्यालय की प्रत्येक कार्य योजना में शिक्षकों, रसोईयों और बच्चों को शामिल करती हूं। बच्चों के सुझावों को अपनाकर बदलाव करती हूं। सुबह प्रार्थना सत्र में व्यायाम की गतिविधियां गीत, संगीत और अभिनय के साथ सम्पन्न होती हैं। रिमझिम पपेट शो के द्वारा पाठों को रोचक तरीके से प्रस्तुत करते हैं। बच्चों के साथ हम खेलते हैं। बांदा से जुड़े रामकिशोर पांडेय ने बताया कि मैंने विद्यालय से समुदाय को जोड़ने के लिए पारम्परिक त्योहारों जैसे होली, दीपावली, नागपंचमी, मकर संक्रान्ति, , बसंत पंचमी आदि को विद्यालय में बच्चों एवं अभिभावकों के साथ मनाना शुरू किया। प्रार्थना सभा में प्रतिदिन दो अभिभावकों को बुलाकर उनको सम्मानित कर स्कूल के बारे में सुझाव लिए। विद्यालय अनुदान का पारदर्शी खर्चकर सोशल आडिट करवाया। इससे समुदाय विद्यालय के साथ जुड़ने लगा और विद्यालय आनंदघर बनने को अग्रसर हुआ है। वेबिनार में वक्ताओं की बातें सुनकर अन्य शिक्षकों ने सवाल भी पूछे। इस संवाद कार्यक्रम में विभिन्न जिलों से अर्चना सिंह, कमलेश, अरविंद, रहमान, श्वेता मिश्रा, रीता गुप्ता, नम्रता, नीतू शर्मा, धर्मेंद्र, माधुरी जायसवाल, अर्चना वर्मा,मनुजा द्विवेदी, कविता रानी, कमलेश त्रिपाठी, नौरीन सआदत, प्रियंका विक्रम, हरियाली श्रीवास्तव, शिवाली, रुखसाना बानो, सुनीता गुप्ता एवं रेणु सिंह आदि शिक्षक-शिक्षिकाओं ने सहभागिता कर विद्यालय को आनंदघर बनाने का संकल्प लिया।