बांदा कार्यालय संवाददाता
बांदा। शैक्षिक संवाद मंच के साप्ताहिक ई-संवाद कार्यक्रम में एनसीईआरटी के पूर्व सदस्य शिक्षाविद् दामोदर जैन ने मुख्य उद्वोधन मे विद्यालयों को आनंदघर के रूप में बदलने के लिए शिक्षकों को शिक्षण के दौरान बच्चों के साथ खेल, गीत, कहानी का प्रयोग करते हुए बच्चों के चेहरों पर मुस्कान बिखेरने की जरूरत बताई। शिक्षक आनंदित होंगे तो आनंद बाटेंगे और यदि तनाव, कष्ट एवं कुंठा में होंगे तो परिवेश को तनावपूर्ण बनायेंगे। बच्चों एवं समुदाय के प्रति प्रेम, मधुरता एवं आत्मीयता का व्यवहार विद्यालय को आनंदघर बनाने में सहायक होगा।
शैक्षिक संवाद मंच द्वारा रविवार शाम को आयोजित ई-शैक्षिक संगोष्ठी के विषय विद्यालयों का आनंदघर में रूपांतरण के मुख्य वक्ता के तौर पर बोलते हुए दामोदर जैन (भोपाल) ने आगे कहा कि आज शिक्षकों के सामने वजूद एवं अस्मिता का संकट है। शिक्षक जलते हुए दीपक बनें। कक्षाओं के अंदर यदि शिक्षकों ने चमत्कार कर दिया तो बच्चे विद्यालय में नियमित होंगे और समुदाय का विश्वास भी बढ़ेगा। शिक्षक स्वयं अच्छे खेल, गीत, कहानी रचते-खोजते हुए स्वयं का रूपांतरण कर खुद पर भरोसा करना सीखें। इसके लिए जरूरी है कि शिक्षक अपने दैनिक अनुभव को डायरी में दर्ज करें। विद्यालय मां की गोद की तरह हो। मां के हृदय जैसा भाव विद्यालय को आनंदघर में बदलेगा। शिक्षक के कार्य व्यवहार में मित्रतापूर्ण बर्ताव, गुस्से पर नियंत्रण, संवेदनशीलता, बच्चों को प्रश्न करने के लिए उत्साहित करना एवं परस्पर विश्वास-सामंजस्य आवश्यक होता है। हम पाठों एवं पाठ्यक्रम की बजाय बच्चों को पढें-पढायें। बच्चो के साथ संवाद स्थापित कर उनकी अभिव्यक्ति के लिए अवसर प्रदान करें।
इसके पूर्व संगोष्ठी का संचालन करते हुए संयोजक प्रमोद दीक्षित मलय ने संवाद मंच की विकास यात्रा प्रस्तुत कर अतिथि परिचय कराया। दामोदर जैन के एक घंटे के उद्वोधन के बाद उपस्थित शिक्षक-शिक्षिकाओं ने अपने अनुभव साझा करते हुए विद्यालयों को आनंदघर बनाने का संकल्प लिया। संगोष्ठी में दिनेश साहू, सुजीत मौर्य, धर्मानंद गोजे (छत्तीसगढ़), ज्योति यादव, चंद्रकांता अदलक(म.प्र.), श्रवण गुप्ता, नौरीन सआदत, सुनीता गुप्ता, श्रद्धा बबेले, मनुजा द्विवेदी, चंद्रशेखर सेन, सुनीता गुप्ता, छवि अग्रवाल, आसिया फारूकी, अरविंद सिंह, कृष्ण कुमार, धर्मेंद्र कुमार, सपना कुशवाहा, माधुरी जायसवाल, प्रियंका विक्रम सिंह, बलराम गुप्त, अब्दुर्रहमान, विनोद गुप्त, अर्चना सिंह, रीता गुप्ता, राजीव त्रिपाठी, अरविंद दुबे, अंकित श्रीवास्तव, कमलेश त्रिपाठी, हरियाली श्रीवास्तव, श्वेता मिश्रा, प्रियदर्शिनी तिवारी, दीप्ति सक्सेना, दीक्षा मिश्रा, रवींद्र गोयल एवं सुषमा त्रिपाठी सहित 53 शिक्षकों ने संगोष्ठी में सहभागिता की। रामकिशोर पांडेय ने आभार व्यक्त किया।