हमारे बांदा कार्यालय संवाददाता
बांदा। डिफेंस कॉरीडोर और पेयजल योजनाओं के साथ बुंदेलखंड को समृद्ध बनाने के लिए सरकार ने एक और बड़ा कदम उठाया है। बुंदेलखंड को फिर दाल का कटोरा बनाने के लिए मुहिम छेड़ी है। इसके लिए आज बांदा के कलिंजर में अरहर सम्मेलन का बड़ा आयोजन होगा। जिसमें देशभर के किसान-व्यापारी व कृषि विशेषज्ञ भी शामिल होंगे। ग्रामीण क्षेत्रों में सूख चुकी दाल की फसल को फिर से हरा भरा किया जा सके। इसके लिए सरकार बुंदेलखंड में एग्रो टूरिज्म को बढ़ावा देकर किसानों को समृद्ध बनाने की तैयारी में है।
क्यों खास है बुंदेलखंड
बुंदेलखंड में इस वर्ष कुल 1,38,687 हेक्टेयर में दलहन की खेती हुई। इसमें अरहर का रकबा 17753 हेक्टेयर, मसूर का 29824 और चना 91110 हेक्टेयर में बोया गया। सिंचाई की विकराल समस्या के बाद भी बांदा में दलहनी फसलें भरपूर होती हैं। कभी बांदा को दाल का कटोरा कहा जाता था, यहां तरह-तरह की दालों का उत्पादन होने से सैकड़ों की संख्या में दाल मिलें थी। हजारों लोगों को रोजगार मिला था लेकिन, सूखा, डकैतों और पलायन की वजह से दाल का कटोरा सूखने लगा और उद्योग बंद पड़ गए।
बांदा के जिलाधिकारी हीरालाल ने दाल कटोरे को फिर से हरा करने की ठानी है। बुंदेलखंड को अरहर से समृद्ध करने की मंशा से दस फरवरी को कालिंजर के कटरा में अरहर सम्मेलन आहूत किया है। साथ ही कहा कालिंजर के कटरा में आज अरहर सम्मेलन में देश भर के प्रगतिशील किसान, वैज्ञानिक, विशेषज्ञ और संस्थाओं के प्रतिनिधि शामिल होंगे। बांदा में दाल उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए यह बड़ा कदम हो सकता है। इस आयोजन में देश की दस बड़ी स्वयंसेवी संस्थाएं, दलहन, सरसों और गन्ना के क्षेत्र में बेहतर विधियां अपनाकर उत्पादन बढ़ाने वाले पद्मश्री सम्मानित प्रगतिशील किसान, बाजार की जरूरत और ब्रांडिंग का तरीका बताने के लिए बड़ी कंपनियों के प्रतिनिधि, कृषि क्षेत्र में स्टार्टअप व स्वरोजगार की संभावनाएं बताने वाले आइआइटी के विशेषज्ञ और मिलर्स-कारोबारी शामिल होंगे।