आत्माराम त्रिपाठी की रिपोर्ट
आज एकाएक बिहार का चारा घोटाला याद आ रहा है । बिहार में भी इसी तरह गौ सेवा के नाम पर गौ सेवा तो नहीं हुई पर चारा घोटाला हुआ जिसकी गूंज पूरे देश में सुनाई दी। जिसके परिणामस्वरूप अधिकारी क्या मंत्री मुख्यमंत्री तक चपेट में आए अपनी अपनी सीटों को गंवाया और अंत में जेल गए सजा खाई। और आज भी कई जेल की हवा पानी का सेवन भी कर रहे हैं।आज सेम उसी तर्ज पर उत्तर प्रदेश में गौशाला बने हैं कुछ स्थाई है तो कुछ अस्थाई पर मकसद सबका एक ही है गौसेवा पर सवाल उठता है कि क्या वास्तव में यहां गौसेवा हो रही है य फिर गौसेवा के नाम पर बिहार चारा घोटाला की पुनरावृत्ति हो रही है।
आज पूरे प्रदेश में जिस तरह से गौसेवा के नाम से गौशालाओं को धन आवंटित किया गया है य किया जा रहा है करता वास्तव में उसका सही उपयोग हो भी रहा है य नहीं यह इसका बंदरबांट हो रहा है।कहपाना जरा अभी मुश्किल है पर शक की सुई तो जरूर घूम रही है।आज किस स्थाई अस्थाई गौशालाओं में गौबंशो की कितनी संख्या है कितनी स्वस्थ हैं कितनी अस्वस्थ है कितनी सही सलामत गौशाला में आई कितनी कालकलवित हुई स्वाभाविक हुई य फिर कोई वजह कर कितनी संख्या थी आज कितनी है इन गौबशौं के लिए शासन प्रशासन से क्या खाद्य पदार्थ दिया जाता है का खुला पट्टिका में उल्लेख हो पर यहां ऐसा कुछ भी तो नहीं हो रहा है गौबंशो को आज पुआल खिलाया जा रहा है। और शासन प्रशासन द्वारा गुड पौष्टिक आहार खिलाएं जाने की व्यवस्था है और इसीके लिए गौशालाओं को धन आवंटित किया जा रहा है पर दुख इस बात का की प्रतिदिन गौबंश काल के गाल में समा रहे हैं भूख से बिमारी से जिसमें प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा मौतों का आंकड़ा कुछ बताया जाता है मौके के ग्रामीणों द्वारा कुछ तो कुछ न कुछ पर्देदारी तो है। और यह पर्देदारी कहीं लालू प्रसाद यादव पूर्व मुख्यमंत्री बिहार जैसे आप लोगों को भी वंही उसी स्थांन में न पहुंचा दे जंहा वह है ।