आत्माराम त्रिपाठी की रिपोर्ट
बाँदा में खनन माफियाओं की पौ-बारह,खनिज अधिकारी-पुलिसिया सांठगांठ से बदौसा,नरैनी,चिल्ला क्षेत्र में ताबड़तोड़ अवैध खनन”अभी खदान भले ही शुरू नहीं हो सकी हैं लेकिन ये बाँदा हैं यहां बारिश की बंदी से लेकर 365 रातदिन चलता है अवैध खनन का साम्राज्य।सत्तारूढ़ दल के नरैनी के विधायक पर मानपुर के ग्रामीणों ने लगाए दो अवैध खदान संचालन के आरोप,विधायक का भतीजा करता हैं डंप,खनन की अगुवाई।अतर्रा के महुआ और बदौसा में गाटा संख्या 6261,6262,6478,6497, 6569,6597,6598 में रेत उत्खनन कार्य के लिए 24.71 एकड़ में उपखनिज की मात्रा50.000 दिनांक 1 अक्टूबर 2020 से 31 मार्च 2021 तक शिवम कांस्ट्रक्शन एंड सप्लायर श्रीमती रामसवारी पत्नी श्रीराम कृष्ण पांडेय निवासी 211 चक बबुरा त्रिवेणी नगर थाना नैनी तहसील करछना जिला प्रयागराज को खनन अनुज्ञापत्र प्रारूप 3 में शामिल शर्तो के साथ दी गई हैं। उधर खनन कम्पनी ने स्थानीय मजदूरों को काम न देकर खनन डीड में शर्तो की अनदेखी करते हुए नदी में पोकलैंड मशीनों से बालू निकासी शुरू कर दी हैं जो यूपी उप खनिज परिहार नियमावली 41-ज की खुली अवमानना हैं। बदौसा के उसरापुरवा एयर क्योटन पुरवा में भी नदी पर अवैध खनन चल रहा हैं। बाँदा में अवैध खनन को सर्वाधिक बदनाम क्षेत्र नरैनी के मानपुर में सत्तारूढ़ दल का विधायक व उसके करीबी संलिप्त हैं जैसा ग्रामीणों ने बताया हैं।
विधायक की हनक ऐसी की विरोधियों पर तमाम संगीन धाराओं सहित हरिजन एक्ट के फर्जी मुकदमा तक खाकी की सरपरस्ती में लिखा गया हैं वहीं सरकार में बैठे माननीयों में चुप्पी हैं। जनपद के खनिज अधिकारी तो माने पार्टी की ड्यूटी में मुस्तैद हो,काश उन्हें गिरवां,नरैनी,बदौसा की नदियों में अभी खदान पूरी तरह शुरू न होने के बावजूद यह अवैध खनन पोकलैंड मशीनों से दिखता। हाल यह हैं कि बारिश की बंदी तक में भी ई-रिक्शा वालों की ढाल में अब छुटभैये ठेकेदार तक बालू कारोबार करा रहे हैं। या यूं कहें गांव से शहर तक बालू और सिर्फ बालू की लूट का व्यापार चरम पर आसीन हैं वह भी तब जब दावा ज़ीरो टॉलरेंस भ्रस्टाचारियों से मुक्त व्यवस्था बहाली के किया जाता हो। उल्लेखनीय हैं कि अक्टूबर माह से बाँदा में शुरू होने वाली खदान की कार्यवाही से पूर्व यह अवैध खनन सफेदपोश और सत्तारूढ़ लोग करा रहे है वहीं वैध पट्टेधारक नदी तक रास्ता बनवाने में जुट गए है। कहीं किसानों की सहमति से खेत से रस्ते का अनुबंध हुआ है तो कहीं विरोध की सूरत हैं। मसलन बेंदा घाट के अमलीकौर क्षेत्र में चार खंडों पर (काली माता मंदिर के कटान को अनदेखा कर खण्ड एक व दो किये गए जिसकी भरपाई मंदिर की क्षति से होने की संभावना हैं) सफेदपोश लोग खदान पाए बाहरी लोगों की रीढ़ का बल बनकर खड़े हो चुके है।
भाजपा से हमीरपुर विधायक,बाँदा के सपा सरकार में सिंडिकेट चलवाने वाले सिंह साहेब बच्चन की मधुशाला लेकर कुछ किसानों के विरोध बावजूद उनके खेतो से रस्ता निकासी नदी तक कर रहे है यथा किसान भारत सिंह का बर्बाद होता खेतिहर खेत। इस किसान के मुताबिक पिछले सीजन में भी उसका आठ बीघा खेत खदान वालों ने दूसरे एरिया में रौंद डाला हैं जो अब बंजर पड़ा हैं। किसान का कहना हैं कि रसूखदार विधायक,नेताओं ने बेंदा क्षेत्र में खदान चलवाने का ठेका लिया है जबकि खनन कम्पनी बाहरी हैं। ऐसा कम्पनी इसलिए करती हैं ताकि स्थानीय गांवदारी,किसानों पर दबदबा बनाया जा सके। यमुना नदी से लगा जंगल तक उजाड़ करके खदान संचालन की योजना हैं जो किसान व पर्यावरण की तबाही की अमरकथा तथाकथित पर्यावरण प्रेमी सरकार के माननीयों की छत्रछाया में लिखेगी।
फिलहाल बाँदा के खनिज अधिकारी सुभाष सिंह डीएम साहेब की आंख में धूल डालकर अपनी छुटपुट कार्यवाही के साथ सत्ता समर्थित माफियाओं को अभयदान देकर नदियों की उजाड़लीला का लेखाजोखा लिखवाना शुरू कर चुके हैं। बेदम नदियों को मृत्युदंड देने और स्थानीय मजदूरों को पलायन करवाकर बाहरी कम्पनियों,नेताओं को मालामाल करने की यह सरकारी नीति बाँदा पर भारी पड़ रही है अलबत्ता इसका माकूल समाधान तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पास भी नहीं हैं आखिर राजस्व की कमाई भी तो नदियों की कोख से निकलती हैं भले ही वैध हो या अवैध ? उधर प्रधानमंत्री मोदी का सपना तो है ही कि गंगा को माँ घोषित करके नदियों में यह रामराज्य स्थापित हो ताकि नदी और जंगल से महरूम किसानों की खेती बेपानी होकर नए कृषि कानून के तहत पूंजीपतियों की कांट्रेक्ट खेती का मुलम्मा / मूलमंत्र बन सके।नदी की बात पर बाँदा से पर्यावरण कार्यकर्ता /पीटीबी फाउंडर आशीष सागर दीक्षित ने लिखा ।वहीं दूसरी ओर अन्य कयी पत्रकार साथियों ने अपने अपने समाचार पत्रों, पोर्टल शोसल मीडिया में अपने लेखों के जरिए जनपद के विभिन्न हिस्सों में केन, यमुना,बागै,रंज नदी में हो रहे अबैध बालू खनन की परत दर परत खुलासा करते हुए चले आ रहे हैं पर किसी के कानों में जूं तक नहीं रेंगी इन माफियाओं द्वारा नदियों की जलधारा से ही नहीं उसके किनारे बने टीलो से भी मशीनों के माध्यम से अबैध बालू खनन का कार्य लगातार जारी है।
आज ऐसी कोई जगह नहीं बची जंहा अबैध बालू खनन माफियाओं द्वारा नहीं किया जा रहा हो और यह तभी संभव है जब खनिज ,पुलिस, जिला प्रशासन, माननीयों के बीच इन अबैध कारोबारियों के मध्य गठजोड़ होगा य यह लोग खुद इन अबैध धंधे में लिप्त हो तभी यह सब संभव है। वैसे यह खेल नया नहीं है सरकार चाहे जिसकी रही हो यह अबैध खनन हमेशा चालू रहा है और आज भी है आगे भी रहेगा। पत्रकार लिखेंगे खमोश हो जाएंगे।पर यह खामोश नहीं होंगे उस कहावत को चरितार्थ करते रहेंगे जिसकी लाठी उसीकी भैंस सो जिसकी सत्ता उसीकी रेत ।सो इन माननीयों के निकट संबंधियों के माध्यम से खुलेआम ट्रको में डंप से नदियों से अबैध बालू खनन माफियाओं द्वारा कराया जा रहा है।हमें इन माननीयों का नाम लिखने में कोई भय नहीं है पर हम इसलिए नाम नहीं लिख रहे हैं कि यहां और भी बहुत धुरंधर पत्रकार हैं जो सब जानते है पर हिम्मत नहीं कर पा रहे हैं।
विज्ञापन के नाम पर अपने जमीर को इनके यंहा गिरवी रख दिया है। खैर कोई लिखे य न लिखें पर हम इन सबको लिखते रहेंगे बगैर यह देखे की इस पर किसकी क्या प्रतिक्रिया है ।