हरी शंकर की रिपोर्ट
बांदा । जनपद में अन्ना पशुओं के कारण किसानों की मेहनत बर्बाद हो रही है। खेतों में तार का तीन चार घेरा करने के बावजूद यदि रात में खेतों की रखवाली करने में यदि नींद की झपकी लग जाये तो अन्ना मवेशी पलक झपकते फसल चट कर देते हैं।
इन पर अंकुश लगाने के लिए शासन स्तर से ग्राम स्तर पशु आश्रय बनाने के निर्देश दिए गए । लेकिन यह कारगर नहीं सिद्ध हो रहे। भारतीय किसान यूनियन के रसिक खरें महेश्वरी दीक्षित बुन्देलखण्ड किसान यूनियन के श्रवण शर्मा किसान दादू शुक्ला फरीद खान अरविंद राजाराम बाल गोविंद त्रिपाठी मुन्ना सिंह सहित तमाम किसानों ने आरोप लगाया है कि पशु आश्रय में ना मवेशियों के छाया व सारे पानी की कोई व्यवस्था नहीं रहती और कहीं कहीं पर तो पशुओं को दिन में आश्रय में रखने के बाद शाम को आश्रय से निकाल दिया जाता है।पशु आश्रय में व्यवस्थाये नहीं होने आए दिन मवेशी बीमार हो कर मरते भी है उन्हें कई दिन तक वहीं पड़े रहते हैं । अन्ना पशुओं से आए दिन सड़क दुर्घटनाएं भी घटित होती रहती है।सभी किसानों ने अधिकारियों शासन प्रशासन से लिखित प्रार्थना पत्र देकर मांग किया है कि किसानों के हितों को देखते हुए इस पर संजीदगी से कार्यवाही कर अन्ना पशुओं से राहत दिलाई जाए।