आत्माराम त्रिपाठी की रिपोर्ट
बाँदा जनपद मुख्यालय से महज 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित ब्लॉक नरैनी अन्तर्गत ग्राम पंचायत खलारी की जमीनी हकीकत से आपको हम रूबरू कराते है । भले ही केन्द्र व राज्य की सरकारें यह दम भर रही हो कि ग्राम पंचायतों के विकास के लिए सूबे की योगी सरकार कह रही हो कि हमारे द्वारा सभी उ.प्र. के गाँव ओ. डी. एफ. घोषित कर दिये गये हो लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है । जब हमारी टीम ग्राम खलारी के मखनपुर की ग्राउण्ड जीरो की रिपोर्टका मुआयना किया तो जमीनी हकीकत कुछ और ही सामने निकल कर आई।
आज भी खलारी गांव की बहन बेटियां व माँ बहने तथा यहां के आदमी शौच के लिए बाहर जाने को मजबूर है वैसे तो यह गांव कागजो मे ओ.डी.एफ. घोषित हो चुका है । लेकिन आज भी गाँव के बाँशिदे शौच के लिए बाहर जाने को मजबूर है। यह हमारे सामने बहुत बडा यक्ष प्रश्न है आज भी दलित बस्तियों के हालात बद से बदतर है। जैसा पूर्व की सरकारों मे था वैसा आज भी है। केवल सरकारी धन का बँदरबाट निचले स्तर से लेकर के ऊपर तक होता है।
आवास व शौचालय भी जातिगत व द्वेषपूर्ण भावना से ग्रसित होकर के ही वितरित किये गये है। अपात्रो व बृहद काश्तकारों को आवास व शौचालय वितरित किये गये है।क्योंकि इन लोगों के पास प्रधान व सचिव तथा पँचायत मित्र की जेब गरम करने के लिए पैसा होता है परँतु जो बेचारे गरीब लोग भूमिहीन मजदूर किस्म के लोगो के पास देने के लिए धन नही होता तो इनको कैसे सरकारी योजनाओं का लाभ मिले यह हमारे उ.प्र.की सच्चाई है बिना रिश्वत के कोई काम सँभव नही है तो फिर कैसे हो सकता है सबका साथ सबका विकास यहां तो केवल वोटबैंक राजनीति चल रही है। हमारे यहां के माननीय भी केवल चुनाव के समय भोली भाली जनता को सुनहरे सपने दिखाकर वोट ले लेते है फिर दोबारा पाँच साल वह अपनी सूरत नही दिखाते।
आगे के हालात तो और भी खराब है ग्राम प्रधान व सचिव द्वारा ऐसे लोगों को भी आवास दिये है जिनके मकान बने थे उनको प्रधानमंत्री आवास का दिया गया है और वह लोग अपात्रो की श्रेणी मे आते है ग्रामीणों ने यह भी बताया कि प्रधान व सचिव ने उनको ही पात्र किया है जिनसे मोटी रकम ली गयी है । आज भी यहां के अर्थ से कमजोर व्यक्तियो को सरकार की तरफ से आई हुयी योजनाओं को किसी तरह का लाभ नही प्राप्त हुआ है। ग्रामीणों का आरोप है कि इस खेल मे ग्राम प्रधान व सचिव तथा पँचायत मित्र इन तीनो लोगो ने मिलकर इस खेल को खेला है तथा गांव की भोली भाली जनता को ठगा गया है। सक्षम अधिकारी अगर एक बार इस गांव का मुआयना कर ले तथा सच्चाई जान ले कि ग्राम प्रधान के पास प्रधानी से पहले कितनी चल व अचल सँपत्ति थी तथा आज पैतीस सो रूपये पाने वाले प्रधान के पास ट्रेक्टर एवँ अन्य सँपत्ति कहाँ से आई अगर निष्पक्ष जाँच अगर हो जाये तो प्रधान सचिव तथा पँचायत मित्र सलाखों के पीछे होगे। जब पूरे मामले की जानकारी ग्राम प्रधान से लेनी चाहिए तो ग्राम प्रधान घर पर ही उपस्थित थे लेकिन उनके घर वालों ने बताया कि बाहर है जब फोन से संपर्क किया गया तो उन्होंने फोन से भी बात करने से मना कर दिया । जब पूरे मामले की जानकारी सचिव से लेनी चाही तो उनका भी कहना था कि आपसे थोड़ी देर में बात करते हैं अभी गाड़ी चला रहे है। खबर लिखने के उपरांत पर सचिव से कोई भी वार्ता नहीं हुई ना ही उन्होंने फोन रिसीव किया खबर लिखने तक।