अर्पित श्रीवास्तव की रिपोर्ट
बांदा । सड़क हादसे में सात लोगों की मौतों के बाद पपरेंदा गांव में दूसरे दिन भी मातम छाया रहा। गांव के अधिकांश घरों के चूल्हे नहीं जले। लोग उस मंजर को नहीं भूल पा रहे, जब उनके प्रियजनों की लाश आंखों के सामने थी और वे बेबस बने हुए थे। गांव की महिलाएं पीड़ित परिवारों के घर पहुंच ढांढस बंधाने में जुटी थीं तो पुरुषों की जुबां पर हादसे का जिक्र था। हर कोई नियति की क्रूरता को कोस रहा था।
देहात कोतवाली क्षेत्र के जमालपुर प्रेटोल पंप के पास रोडवेज बस और आटो की भिड़न्त गुरुवार की रात हुई। रोडवेज की बस ने 6 लोगों की जान ले ली। एक की उपचार के दौरान मौत हो गई। गांव के साथ 7 लोगों की मौत हो गई थी। इसकी खबर पहुंचने के बाद से ही पूरा गांव सदमे में है। शुक्रवार को पोस्टमार्टम के बाद शव गांव पहुंचे। कुछ देर रोकने के बाद सभी शवों अंतिम संस्कार कर दिया गया। दूसरे दिन शुक्रवार को भी ग्रामीण सदमे से बाहर नहीं आ पाए थे। रह-रहकर उनकी आंखों के सामने घटनास्थल और पोस्टमार्टम हाउस तक का मंजर नाच रहा था। हादसे में किसी ने पिता, पति और बेटा खो दिया है तो किसी का दोस्त बिछड़ गया।
ह्रदय विदारक घटना से मर्माहत ग्रामीण एक-दूसरे को साहस बंधाने में खुद को असहज महसूस कर रहे थे। आलम यह रहा कि पूरे गांव में मातमी सन्नाटा रहा। मोहल्ले में सिर्फ सिसकियां ही सुनाई दे रही थीं।आला अधिकारी ने मौके पर पहुंचकर पीड़ित परिवारों को ढाढस बंधाते रहे।