आत्माराम त्रिपाठी की रिपोर्ट
बांदा कांग्रेस नेता विवेक कुमार सिंह के निधन से पार्टी को अपूरणीय क्षति हुई है। उन्होंने प्रयाग विश्वविद्यालय छात्रसंघ महामंत्री के रूप में राजनैतिक सफर शुरू किया और अपने जीवन काल में संघर्ष की राजनीति को प्रमुखता दी।
वह तीन बार विधायक रहे। वर्ष 1910 -11 में जब बुंदेलखंड के किसान कराह रहे थे, दैवी आपदा के शिकार थे, आत्महत्या कर रहे थे , तब तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से बांदा जिला कांग्रेस कमेटी का प्रतिनिधिमंडल विवेक सिंह के साथ मिला तत्कालीन ग्रामीण विकास राज्य मंत्री प्रदीप जैन आदित्य जिला अध्यक्ष साकेत बिहारी मिश्रा सहित तमाम लोगों के साथ विवेक सिंह ने प्रधानमंत्री के साथ बैठकर बुंदेलखंड को विशेष पैकेज दिए जाने का मुद्दा उठाया। परिणाम स्वरूप 7262 करोड़ रूपया तत्कालीन प्रधानमंत्री ने बुंदेलखंड को जारी किया। इसके बाद संगठन के साथियों के साथ प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह राहुल गांधी तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष रीता बहुगुणा जोशी प्रमोद तिवारी का बांदा प्रोग्राम बनवाया गया। बांदा की रैली में मनमोहन सिंह जी ने 200 करोड़ रुपये पेयजल के लिए दिया।
इसी तरह राहुल गांधी को साथ लेकर माधवपुर गांव के ग्रामीणों से मिले गांव में ही हेलीकॉप्टर उतारा गया। नहरी गांव गए और तमाम अनसुलझे मुद्दों को सुलझाने का प्रयास किया गया। विवेक सिंह ने अपनी राजनीति में पलट कर कभी नहीं देखा और सदैव विकास के लिए संघर्ष किया इसीलिए कांग्रेस जन के अलावा सभी की आंखें उनके निधन पर नम है ।
साकेत बिहारी मिश्रा पूर्व जिला अध्यक्ष बांदा ने श्री सिंह के निधन पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए पार्टी के लिए जंहा अपूर्णनीय छति बताया वहीं इसे ब्यक्तिगत अपूर्णनीय छति बताया।