लखनऊ, 20 जुलाई: 2022 में उत्तर प्रदेश के अंदर विधानसभा चुनाव होने है। विधानसभा चुनावों से पहले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की सक्रियता बढऩे को सपा अध्यक्ष व यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मतदाताओं को बहकाने-भटकाने की रणनीति का हिस्सा बताया है। अखिलेश यादव ने कहा अपनी कठपुतली भाजपा सरकार को बचाने के लिए राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ सक्रिय हो गया है।
उन्होंने कहा कि संघ इस बात से चिंतित है कि भाजपा सरकार ने साढ़े चार साल बिता दिए और धेले भर का भी काम नहीं किया। इसलिए लखनऊ में हुई संघ की समन्वय बैठक में फिर से मतदाताओं को बहकाने-भटकाने की रणनीति तय की गई है। दिखावे के लिए कथित सेवा को भी राजनीति में घसीटने का प्रयास है। डराने, धमकाने का भी मुद्दा बनाने का इरादा है। उपर्युक्त संघी निर्णयों से भाजपा की चुनावी दिशा का स्पष्ट संकेत मिलता है।
समाजवादी पार्टी के पक्ष में जनता के बढ़ते रूझान को देखते हुए संघी वास्तव में बदहवाशी के शिकार हो चले हैं। उत्तर प्रदेश के विकास में भाजपा ही सबसे बड़ा रोड़ा साबित हुई है। साढ़े चार साल में भाजपा ने जनता को धोखा पर धोखा दिया है। विकास अवरूद्ध हुआ है। गरीब, किसान, नौजवान, श्रमिक, व्यापारी, महिला सहित समाज के सभी वर्गो के लोगों को मंहगाई, बेकारी, प्रशासनिक उत्पीड़न का शिकार होना पड़ रहा है। प्रदेश को भाजपा सरकार ने हर क्षेत्र में फिसड्डी बना दिया है।
यादव ने कहा कि जब भाजपा की नाव डूब रही है तब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शरण में जाने से भी क्या होगा? खुद संघ महानगरों की शाखाओं में सीमित है। गांव-किसान-मजदूर से उसका कोई नाता रिश्ता नहीं है। लोकतांत्रिक मूल्यों से उसे परहेज है। पथ संचलन के नाम पर सिर्फ सड़क पर उनका डण्डा प्रदर्शन ही दिखता है। सेवा क्षेत्र में तो उसकी कहीं कोई उपस्थिति कोरोना संक्रमण काल में दिखाई नहीं दी। वह निरर्थक मुद्दें उठाकर समाज के एक वर्ग को आतंकित करती है और समाज में विघटन के बीज बोता है।