बज्म ए सुखन जलालाबाद की जानिब से खूबसूरत शेरी नशिस्त का आयोजन
शादाब जफर शादाब की रिपोर्ट
नजीबाबाद। “बज्म ए सुखन” जलालाबाद की ओर से मौहल्ला प्रेमनगर में एक शेरी नशिस्त का आयोजन शायर अकरम जलालाबादी के निवास पर किया गया। जिस में शायरों ने खूबसूरत कलाम पेश कर श्रोताओं को दाद देने के लिये मजबूर कर दिया।
शेरी नशिस्त की सदारत कर रहे मशहूर शायर शायर मौसूफ अहमद वासिफ ने कहा कि उर्दू और हिंदी ज़बान दिलों को जोड़ने वाली है। ग़ज़ल और कविता इन भाषाओं को ज़िन्दगी देती हैं और मुशायरे व कवि सम्मेलन समाज में एकता भाईचारे को बढ़ावा देकर देश की एकता अखंडता को मजबूत बनाने का काम करते हैं।
शेरी नशिस्त का आगाज अकरम जलालाबादी ने नात ए पाक से यू कहते हुए किया…
कोई भी विरद नही इस कलाम से अच्छा, खुदा के बाद मौहम्मद के नाम से अच्छा।
बुजुर्ग शायर, खूबसूरत तरन्नुम के मालिक शायर शकील अहमद वफा ने कहा….
हाय क्या हो गया जमाने को ,हम को तैयार हैं मिटाने को। जो पले है हमारे टुकड़ों पर,सोचते हैं हमें मिटाने को ।।
मशहूर शायर और अपनी ग़ज़लो से यूट्यूब पर धूम मचाने वाले शायर सरफराज़ साबरी ने अपनी मखमली आवाज़ में खूबसूरत ग़ज़ल पेश करते हुए कहा ..
कभी कही पे जो घेरा बलाओं ने मुझ को,बचा लिया मेरी मां की दुआओं ने मुझ को।
शेरी नशिस्त की खूबसूरत निज़ामत फरमा रहे नौजवान शायर शादाब जफर शादाब ने अपने मीठे तरन्नुम में बहुत बढिया ग़ज़ल पेश करते हुए कहा…
जुबांपर हर किसी के सामने लाया नहीं जाता,यूं अपना हाल ए दिल सब को तो बतलाया नहीं जाता।
कही भी हो तुझे चश्म ए तसव्वुर ढूढ लेती है, ना हो जब तक वजू हरगिज़ तुझे सोचा नहीं जाता।
शेरी नशिस्त का अपनी नात ए रसूल ए पाक से बा-बरकत आगा़ज करने वाले मेजबान अकरम जलालाबादी ने कहा…
आयेंगे इक दिन वो हमारे दयार में,गुजरी तमाम उम्र इसी इन्तेज़ार में।। फुर्सत मिले तो जुल्फ सवारुं गज़ल की मे,उल्झा हुआ है जहन गम ए रोज़गार में।।
खूबसूरत शेर कहकर खूबसूरत ग़ज़ल पेश करने वाले मशहूर शायर डाक्टर तैय्यब जमाल ने कहा….
ऐसी तो कोई शह नही हैं रह गुज़र नहीं,जिस पर हर एक हाल में तेरी नज़र नहीं।। खालिक को अपने छोड़ के जो हर जगह झुके,कट जायेगा भले मगर वो मेरा सर नही।
उस्ताद शायर बहुत खूबसूरती से शेर कहने वाले शायर मुख्तार अहमद शाद ने कहा..
गर हो सके ये हिज्र मैं दावा करें कोई. दे दर्द और कोई मदावा करें कोई।
शेरी नशिस्त की सदारत फरमा रहे दुनियां में अपनी शायरी से नजीबाबाद का नाम रोशन करने वाले शायर मौसूफ अहमद वासिफ ने कहा…..
जहाँ तक आग पानी हवा है।
मेरी मिट्टी है और मेरा खुदा है। ऐ मेरे अक्स के टुकड़ों बताओ, कहा से आईना टूटा हुआ है।
शेरी नशिस्त बहुत कामयाब रही शेरी नशिस्त की सदारत मौसूफ अहमद वासिफ व निज़ामत शादाब जफर शादाब ने की। शेरी नशिस्त के अंत में मेजबान अकरम जलालाबादी ने सभी का शुक्रिया अदा किया।