मानसिक स्वास्थ्य की अवहेलना- समाज के लिए घातक पहलू

– दीप्ति सक्सेना
किसी भी व्यक्ति की प्रगति उसके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर निर्भर करती है। लोग शारीरिक स्वास्थ्य के प्रति ध्यान देते हैं लेकिन मानसिक स्वास्थ्य को एकदम तिरस्कृत सा कर देते हैं। परिवार और समाज के असहयोगी रवैये के परिणामस्वरूप अपने आप से लड़ता हुआ व्यक्ति नकारात्मकता से घिरने लगता है। वह धीरे धीरे मानसिक रोग के अंध महासागर में जा गिरता है।
व्यक्ति के अंदर उपजे विचारों से ही समाज की दिशा निर्धारित होती है। यदि मानसिक स्वास्थ्य सही न हो तो व्यक्ति का जीवन दर्शन, व्यवहार ,भाषा, दूसरों के प्रति नज़रिया और भावनाएं दूषित होने लगती हैं। इसका प्रथम भाजन परिवार बनता है। जब किसी का मानसिक खराब हो रहा होता है तब उसपर कोई ध्यान नहीं देता लेकिन जब वो बिगड़ चुका होता है तब सब उसको दोष देकर प्रताड़ित भी करते हैं। फिर उसकी खिल्ली उड़ाई जाती है। यह उपहास उसे मौत के अंधे कुएँ तक ले जा सकता है। इसके दूसरे पहलू के रूप में इस वीभत्स खेल का जन्मदाता समाज अपने लिए ही गड्ढा खोद रहा है ये उसे पता भी नहीं होता। खराब मानसिक स्वास्थ्य की परिणीति एक प्रतिभा या कौशल की मृत्यु या अपराध के रूप में होती है। डॉ.वशिष्ठ नारायण का उदाहरण एक महान प्रतिभा के दर्दनाक अंत के रूप में हमने देखा। हाल में ही अभिनेता सुशान्त सिंह की मृत्यु इस विषय पर गहन विचार विमर्श के लिए प्रेरित कर रही है। इनके अलावा मानसिक अस्वस्थता पैदा करना, फिर प्रताड़ित करना और सही इलाज न मिलना….न जाने कितने उत्तम व्यक्तित्वों को निगल चुका है जो समाज और देश को बहुत कुछ दे सकते थे या दे सकते हैं। मगर घृणित निरंकुश मानसिकता ने बहुत लोगों के साथ अन्याय किया है।
अब यह सोचने का समय है कि समाज में नैतिक मूल्यों के ह्रास को कैसे रोका जाए और अंधी प्रतिद्वंद्विता के कारण किसी का अहित ना हो। बच्चों में बचपन से ही किसी दूसरे बच्चे को बहुत चिढ़ाने या मजाक उड़ाने को हल्के में नहीं लेना चाहिए। यदि बच्चा गुमसुम रहता हो,आक्रामक हो या असामान्य व्यवहार प्रदर्शित करता हो तो समय रहते उसकी काउंसिलिंग करवानी चाहिए। स्वस्थ समाज के लिए आवश्यक है कि ना तो कोई मानसिक रोगों का शिकार बने और ना ही दूसरों का मानसिक संतुलन बिगाड़ने का कारण बने। परिवार व समाज का कर्तव्य है कि वह इस समस्या की गंभीरता को समझे। मानसिक रूप से असंतुलित या मानसिक रोगों से ग्रसित व्यक्ति से घृणा या उनका उपहास ना करके सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार करें। उनके परिवार को इस विकट स्थिति में यथासंभव सहायता भी करें।

– दीप्ति सक्सेना
(सहायक अध्यापक), विद्यालय-पू0मा0वि0 कटसारी,
वि0क्षे0-आलमपुर जाफराबाद, जनपद- बरेली, उत्तर प्रदेश।