शादाब जफर ‘‘शादाब’’
जब जब मुझको देखे शर्म से हो जाते है लाल……………
जब जब मुझको देखे शर्म से हो जाते है लाल
गोरे गोरे गाल, गोरी के गोरे गोरे गाल
बाते उसकी ऐसी जैसे छम छम पायल बाजे
होठ के जैसे फूल खिले हो मन को ऐसा लागे
चॉदी जैसा रूप है उस का सोने जैसे बाल
गोरे गोरे गाल, गोरी के गोरे गोरे गाल
घॉघर लेकर पानी भरने जब वो पनघट आये
देख के उसकी कनचन काया मन मेरा ललचाये
ऑखे उसकी झील से गहरी हिरनी जैसी चाल
गोरे गोरे गाल, गोरी के गोरे गोरे गाल
रस्ते में मिल जाये अगर वो देख मुझे छुप जाये
छुप छुप कर वो मुझको देखे मन ही मन मुस्काये
इक पल में धनवान वो कर दे इक पल में कंगाल
गोरे गोरे गाल, गोरी के गोरे गोरे गाल
सखियो के संग होली खेलन घर जो मेरे आये
में कान्हा बन जाऊ उस दिन, वो राधा बन जाये
वसन्त ऋतू के इस मौसम में खेले रंग गुलाल
गोरे गोरे गाल गोरी के गोरे गोरे गाल
जब जब मुझको देखे शर्म से हो जाते है लाल
गोरे गोरे गाल, गोरी के गोरे गोरे गाल
सभी देशवासियो को होली की हार्दिक शुभकामनाएं.
लगा लो आज तो सीने से यार होली है.
इसी बहाने से हो जाये प्यार होली है.
किसी ने दूधिया छानी ,किसी ने रंग घोला.
चढा हुआ है सभी पर खुमार होली है.
नही है जेब मै पैसा तो कोई बात नही.
पीयेगे आज ते चलकर उधार होली है.
करोंगे आज इन्कार मै ना मानूंगा.
के दो दिलो के मिलन का त्यौहार होली है.