नवीन जोशी ‘नवल’
वैश्विक आपदा से चिंतित एक नेता ने समस्त विश्व के जनमानस की चिंता करते हुए वैश्विक आपदा कोरोना वायरस जनित संक्रामक रोग कोविड-19 से निपटने के लिए पहले सभी दक्षेस देशों से वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से विचार विमर्श किया, सभी शक्तिशाली, विकसित देशों के राष्ट्राध्यक्षों से बात की। इससे पूर्व ईरान में फंसे भारतीयों के साथ साथ यथासंभव पड़ौसी देशों के नागरिकों को भी भारत से स्केनिंग किट साथ भेजकर सुरक्षित वापस लाने का सराहनीय कार्य कर दिखाया (इसकी कीमत वे जानते होंगे जो वहां फंसे थे)। जिसका WHO सहित सम्पूर्ण विश्व एवं सभी दक्षेस देशों के शीर्ष नेतृत्व ने (एक को छोड़कर, जो चीन में फंसे अपने ही लोगों को स्वीकार न सका) एक स्वर से उनकी भूरि भूरि प्रशंसा की है। गर्व का विषय है कि वह नेता मेरे देश का ही प्रधानमंत्री हैं।
संभवतः ‘सभी का भला हो, सभी निरोगी रहें’ इसी विचार से भारत विश्व गुरु रहा है।
विश्वभर ने प्रसंशा की, लेकिन भारतीय मीडिया की एक लौबी एवं सोसल मीडिया और समाज में कुछ कुत्सित मानसिकता के “तथाकथित भारतीय” इसे स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं। प्रधानमंत्री प्रसंशा के मोहताज तो नहीं, लेकिन आखिर वो प्रधानमंत्री के साथ-साथ एक मानव भी हैं, मनोबल तो बढ़ाने को देशवासियों का प्रयास होना चाहिए। उन्होंने दक्षेश देशों को भारत का मंत्र-संदेश दिया “इस वैश्विक महामारी से घबराना नहीं, निपटना है” ! संभवतः विशाल जनसँख्या एवं कम सुविधाओं वाला हमारा संस्कृति-प्रधान देश इस मंत्र, आपदा में कार्यरत कर्मवीरों की मेहनत एवं अपने दृढ आत्मविश्वास से इस संकट से सफलतापूर्वक विजय प्राप्त करेगा !
आज हमारे देश में कुछ लोग भ्रम फैलाकर धर्मांध एवं अशिक्षित समुदाय को भड़काकर उसकी आड़ में देश को अस्थिर करने का कुटिल एवं आत्मघाती प्रयास कर रहे हैं, जो देश के भविष्य के लिए घातक होगा ! इस कृत्य में देश में स्थित राष्ट्रविरोधी मानसिकता वाले लोगों के संरक्षरण के साथ-साथ विदेशी षड्यंत्र को भी नकारा नहीं जा सकता ! लेकिन समस्त देश का देशप्रेमी जनमानस एकजुटता से उनका यह षड्यंत्र सफल नहीं होने देगा !
आज संकटकाल में भी कुछ लोग अर्थव्यवस्था, वैचारिक भिन्नता आदि के माध्यम से जनता को दिग्भ्रमित करने का भी प्रयास कर रहे हैं ! अर्थव्यवस्था, राजनीति, पक्ष-विपक्ष एवं मतभेद भी तभी होंगे जब देश व जनमानस का जीवन सुरक्षित रहेगा ! वैचारिक मतभिन्नता राष्ट्रीय/वैश्विक संकटकाल में किसी भी कीमत पर अपेक्षित नहीं हो सकती !
२२ मार्च को प्रधानमंत्री जी के एक आह्वान पर समस्त देशवासियों ने “जनता कर्फ्यू” के पालन के साथ ही आपदा में अपनी जान की परवाह न करते हुवे राष्ट्र को अपनी अद्वितीय सेवाएं दे रहे राष्ट्ररक्षक कर्मवीर- चिकित्सक एवं स्वास्थ्यकर्मी, सेनाकर्मी, पुलिसकर्मी, सफाईकर्मी, मीडियाकर्मी, आपूर्तिकर्ता वर्ग एवं किसी भी तरह सेवा क्षेत्र में लगे भद्रजनों का घोष, करतल-ध्वनि द्वारा सम्मान किया जिसने उनका, समाज का एवं स्वयं के उत्साहवर्धन का कार्य तो किया ही, साथ ही इसका हमारे विज्ञान सम्मत आध्यामिक प्रभाव भी प्रकृति पर अवश्य पड़ा होगा !
आज एक बार फिर देश के यशस्वी प्रधानमंत्री जी ने आगामी रविवार 5 अप्रैल को इस संकट के बीच सभी विद्युत प्रकाश बंद करके 9 मिनट के लिए दीपक, मोमबत्ती, आदि से मुख्यद्वार, बालकनी में प्रकाश करने का आग्रह किया है, जिसका पूर्व आह्वानों की भांति देश के सभी राष्ट्रप्रेमी पालन करेंगे, मुझे लगता है इस प्रकाश पर्व का एक बहुत बड़ा विज्ञान सम्मत अध्यात्मिक प्रभाव भी होगा, और एक छोटी सी बात और ध्यान में आती है- जब सम्पूर्ण देश में 9 मिनट विद्युत प्रकाश बंद रहेगा तो कितनी विद्युत् ऊर्जा भी संचय होगी, कल्पना कर सकते हैं ! सबसे बड़ी बात जब 9 मिनट सम्पूर्ण देशवासी दीपक के प्रकाश में एकाग्रचित्त होकर भारत माता को नमन करेंगे तो देशप्रेम तो जगेगा ही साथ ही साथ इससे पूरे विश्व में भारत की एकता एवं अखंडता का भी एक बहुत बड़ा सन्देश जाएगा !
वर्तमान में हम सभी सरकार/प्रशासन के दिशानिर्देशों का प्रमाणिकता व दृढ़तापूर्वक पालन करें और स्वयं ही अपना मूल्यांकन भी करें, आत्मसाक्षी होना सफलता का मूलमंत्र है ! हमारे समस्त अनुशासित देशवासियों के संयम, सावधानी, स्वच्छता, सजगता और सद्विचार के माध्यम से हम इस वैश्विक संकट पर विजय प्राप्त कर सकेंगे, ऐसा मेरा विश्वास है ।
सर्वे अपि सुखिन: सन्तु, सर्वे सन्तु निरामया: ।।
“घर पर रहें, स्वस्थ रहें, सुरक्षित रहें, हाथ साबुन से बार-बार धोते रहें”