केसर रानी (परमीत)
साथ निभाने की कीमत हर किसी को चाहिए। कई उम्मीदे लगाये बैठे हैं,
कई मोल लगाये बैठे हैं।
कलयुग के दौर मे, शर्तो के दम पर साथ निभाने का दौर बनाये बैठे हैं।
कलयुगी दुनिया के पापी ऐसा प्रचलन बनाये बैठे हैं।।।।
धन नहीं है मेरे पास, चंद पैसों के लिए आबरू पर नजर गडाए बैठे हैं।
सेहत नहीं है मेरे पास, सब मुझे ठुकराए बैठे हैं।
घर नहीं है मेरे पास, सब नीचा दिखाए बैठे हैं।
कोई साथ देने वाला नहीं है यहां, सब हुक्म चलाएं बैठे हैं।
फिर भी अपनी हिम्मत की डोर को टूटने न दिया हमने,हम तो बस इश्वर से आस लगाये बैठे हैं।
चारों तरफ है अन्धेरा फिर भी, हम बस सूर्य पर नजर गडाए बैठे हैं।
राहों के काटे इतने न चुभे,
जितने हम अपनो के वार से टूटे ।
यकीन सा है सबको मानो क
इस गम भरे जीवन मे मेरे, होगी नहीं कभी कोई रोशन सुबहें।
फले हुए पेड़ की डाली थे हम।
अपनो ने फलो के बंटवारे के लिए,
जड़े ही काट दी।
सूख गए सब फूल,फल और पत्ती,
फिर भी अपने विचारों से सपनों का नया बीज हम बोयेगे,
अपने होकर भी अपनी ही डाल काट दी, ऐसे रिश्ते किस गंगा मे अपने पाप धोऐगे ।
आज अपनो के इस चक्रव्यूह से मुझे गैरों का बाजार अच्छा लगता है।
आज महंगाई के दौर मे मुझे लोगों का इमान सस्ता लगता है।
बिक रहे है रिश्ते आज चंद रुपये ओर हवस के लिए।
आज तो रिश्ते निभाना भी मुझे एक कारोबार लगता है ।
झूठी शान दिखाने को जुबान से जैसे झूठ की कतार सी चलने लगी।
घर मे बूढी माँ बेशक है भूखी,
पर मन्दिर मे जोते जलने लगी।
छोड़ देते बीवी के डर से जब,
धूधली नजर वाले बूढ़े माँ-बाप की तब, उम्र मानो वक्त से पहले डलने लगी।
मत भूलना कभी, किसने तुम्हें इस संसार मे लाया था।
इस जीवन में तुम्हें किसने पहला स्नान करवाया था।
किसकी उंगलियों को थाम कर तुमने अपना पहला कदम बढ़ाया था।
कौन थे वो जिसने अपने कंधों पर, तुम्हारे भविष्य का बोझ उठाया था।
इस संसार में रहकर यदि तुम इस कर्मो का कर्ज उतार गए,
तो जान लो फिर तुम भवसागर से पार हुए।
-केसर रानी (परमीत)
जम्मू-कश्मीर ।