लाक डाउन खत्म होने के बाद जिंदगी पुन: पटरी पर आएगी या जिंदगी को पटरी पर आने में लंबा वक्त लग सकता है?
जिंदगी, करवट बदल रही है. वक्त के साथ जीवन का चक्र भी घूम रहा है .वर्तमान में जीवन ने जैसे उल्टी करवट बदली है .
सड़के भी सुनसान हैं , पंछी भी हैरान है. घरों में कैद इंसान हैं . प्रदूषण खत्म हुआ है .नीला आकाश है. हवा में ताजगी का एहसास है. कहीं बडे घरों में पक रहे पकवान हैं तो कहीं भूख से बेहाल गरीब इंसान हैं. जेठ का पारा चढ रहा है, फिक्र का दानव बढ़ रहा है. प्रकृति की यह कैसी मार है कि मानव भी लाचार है .
कोरोना काल ने जिंदगी को कई वर्ष पीछे लाकर खड़ा कर दिया है. चहल–पहल नदारद है. आज इंसान भी इंसान से डरने लगा है. तीज त्योहारों की रौनक गायब है . जीवन रुक सा गया है . पश्चिमी सभ्यता की तरफ जाते हुए कदम पुन: संस्कृति की तरफ लौटने लगे हैं. जरूरतें सिमट गई हैं. लेकिन मन की तड़प बेकरार है . हर तरफ मचा हुआ हाहाकार है . अर्थी को देने के लिए कांधा नहीं है, संवेदनाओं का यह बिखरा हुआ कैसा संसार है . भक्त परेशान हैं. मंदिर में घंटी और मस्जिद में नहीं अजान है .
कहीं आक्रोश उबल रहा है, तो कही कुंठा जन्म ले रही है. किसान मजबूर हैं . फसलें नष्ट हो रही है. मजदूर पलायन के लिए मजबूर है. होटल, बार, रेस्टोरेंट बंद है . उससे रोजी रोटी पानी वाले ना जाने कितने लोग बेघर हो गए हैं . पंडित की पूजा बंद है . अंधविश्वास का टूटा मायाजाल है . फिर भी बिना बात के मचता बबाल है.
लाक डाउन में कुछ अप्रिय घटनाएं भी हुई है, जो घोर निंदनीय है. जैसा कि महाराष्ट्र के पालघर में हुआ था. यह लोगों की मानसिक कुंठा का ही प्रतिरूप है जिसकी जितनी भर्त्सना की जाए कम है.
कुछ स्थानीय लोगों द्वारा साधू को पीट–पीटकर मार डालना, इतनी संवेदनहीनता लोगों में कहां से उत्पन्न हो गई है ? लोग कानून को हाथ में लेकर कानून की रक्षा करने वालों पर ही घात कर रहे हैं. सीधे, सज्जन व्यक्ति, कोरोना से ठीक हुए रोगी के साथ लोगों का दुर्व्यवहार मानसिक कुंठा का ही प्रतीक है. प्रतीत होता है कि कुछ बुद्धिजीवी समुदाय विशेष वर्ग के लोग अपनी सांप्रदायिकता या जाति धर्म के रंग में रंगे हुए लोगों को उकसा कर अपने कार्य को सिद्ध करते हैं . जो बेहद शर्मनाक है. यहाँ भी राजनिति अपने पाँव पसार लेती है.
क्या इंसान मानवता से दूर हुआ है ? देखा जाय तो नकारात्मकता के लंबे स्वर अक्सर उठते रहते हैं . परंतु यदि हम इसमें सकारात्मकता का असर देखें तो कोरोना काल ने हमें बहुत कुछ सिखाया है . कोविड -19ने सबको अकेला खड़ा कर दिया है . उतना ही सत्य है कि कोरोना ने लोगों को आत्ममंथन के लिये अकेला किया है . लोगों में आत्मनिर्भरता व सहयोग की भावना बढी है .
यदि कुछ असामाजिक तत्वों को छोड़ दिया जाए तो आज पूरे भारत देश ने एकता की मिसाल कायम की है . लाक डाउन के बाद कोरोना को हराने के लिए जाति धर्म को भूलकर कई हाथ मदद के लिए आगे आए हैं . आज यह प्रश्न मुँह बाये खड़ा है कि लाक डाउन के बाद क्या जीवन पटरी पर लौटेगा ?
छोटे उद्यमियों, छोटे व्यापारियों की आर्थिक व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है . बेरोजगारी बढ़ने की आशंका हो गई है . लाक डाउन में बंद रहने के कारण लोगों डिप्रेशन का खतरा भी बढा है . लोग डरने लगे है कि कल क्या होगा ? यह चिंता निम्न वर्ग के लिए चिता के समान बन गई है.
आज यदि विश्व के हालात देखे जाएं तो भारत काफी बेहतर स्थिति में है . आज भारत की जनता ने एकजुटता के कारण अपने आप को काफी हद तक संभाल रखा है . लोगों द्वारा गलतियां दोहराई जाती हैं लेकिन गलतियों से सीख लेकर आगे बढ़ना और इतिहास बनाना यह हमारी पहचान है .
आज भारत के लोगों ने सिद्ध कर दिया है कि वे हर परिस्थिति व चुनौतियों का सामना हिम्मत व मजबूती से करते हैं और आगे भी करेंगे. अब सबसे बड़ा प्रश्न यही है कि लाक डाउन खत्म होने के बाद जिंदगी पुन: पटरी पर आएगी या जिंदगी को पटरी पर आने में लंबा वक्त लग सकता है? क्या उसी तरह जीवन सुचारू रूप से चलने लगेगा जैसा पहले था … प्रश्न अनुत्तरित है . जहां तक मेरा मानना है इसमें काफी वक्त लग सकता है .
अर्थव्यवस्था से लेकर सामान्य जीवन में कई बदलाव हो सकते है . भीड़ भाड़ वाली जगह शायद अब इतिहास बन कर रह जाये . कई कार्य शायद इतिहास के पन्नों मे दर्ज हो जायेगें . लोगों के व्यवहार में बदलाव आएगा .
पहले अक्सर लोग गाना गाते थे कि दिल ढूंढता है फिर वही फुर्सत के रात दिन …. लेकिन शायद अब फुर्सत वाले दिन कोई नहीं देखना चाहेगा . लाक डाउन ने जीवन के मायने बदल दिये है.
यह भी संभव हो सकता कि शादी जैसे कार्यक्रम भी साधारण तरीके से बिना भीड जमा किये होने लगे. कोरोना काल का यह वर्तमान भविष्य में नया इतिहास बनाएगा . स्कूल कॉलेज में पढ़ने का तरीका बदल सकता है . जिंदगी नया पन्ना लिखने के लिए तैयार है . हमें यह देखना है आगे आने वाले समय से लड़ने के लिए हम खुद को किस तरह तैयार रख सकते हैं
लाक डाउन के बाद कुछ बातों का ध्यान रखकर हम काफी हद तक कोरोना महामारी के संकट को हरा सकते हैं .
1 सोशल डिस्टेंस की उसमें सबसे महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी जो हमें भविष्य में भी कायम रखनी है .
2 भीड़ भाड़ वाली जगह से बचना होगा व कोशिश करनी होगी कि सब एक जगह एकत्रित होकर भीड ना करें.
3 मुँह को बाँध कर रखना होगा, सार्वजनिक जगह पर थूकने से बचना होगा .
4 देश को अपना समझकर सार्वजनिक जगहों पर साफ सफाई का पूर्ण ध्यान रखना होगा.
कुछ बातें हमें व हमारे देश मानव जाति को सुरक्षित रख सकती है. अंत में यही कहना चाहती हूँ
जाति धर्म को भूल जा, मत कर यहाँ विमर्श
मानवता का धर्म है , अपना भारत वर्ष