स्वयं सहायता समूह ग्रामीण महिलाओं को हुनरमंद बनाने के साथ ही आर्थिक रूप से मजबूत बना रहे हैं। एक जमाना था जब महिलाओं को अबला समझा जाता था। अब वह गुजरे जमाने की बात है। महिलाएं अब अबला नहीं बल्कि सबला हैं। कोई क्षेत्र ऐसा नहीं, जहां महिलाएं अपना हुनर नहीं दिखा रही हैं। ऐसे में ग्रामीण परिवेश में रहने वाली महिलाएं क्यों पीछे रहें। वे भी अपनी रुचि और योग्यतानुसार समूह से जुड़कर स्वयं के साथ – साथ परिवार को आर्थिक रूप से सक्षम बना रही हैं। जिले के चंदनकियारी प्रखंड के बोरीयाडीह पंचायत निवासी कल्पना साहनी ने अपनी लगन और दृढ़ निश्चय से स्वरोजगार कर आत्मनिर्भर बनी है। इससे पहले कल्यपना की माली हालत खराब थी। इनके पति अस्वस्थ्य रहते थे। जिस कारण उन्हें कोई काम नहीं मिलता था। घर की माली हालत खराब देखकर कल्पना के मन में हमेशा कुछ न कुछ करने की इच्छा रहती थी। आखिरकार इसने घर की चौखट लांघकर अपना स्वरोजगार करने का निर्णय लिया। मन में दृढ़ निश्चय लेकर वह सबसे पहले समूह से जुड़ी और उससे अपनी जीविका का राह तलाशने लगी। समूह से जुड़कर उसने समय – समय पर छोटी – मोटी राशि लेकर ऋण लिया और जरूरत के कार्यों को पूरा किया। ऋण चुकाने के बाद उसने स्वरोजगार के लिए एक लाख रुपए ऋण लिया और घर में ही कपड़ा का दुकान खोला। धीरे – धीरे दुकान जम गया, आस – पास के लोग दूर बाजार नहीं जाकर कल्पना के दुकान से ही कपड़े लेने लगें आज कल्पना और उसके परिवार की आर्थिक स्थिति में सुधार आया है। कल्पना अपने स्थिति में सुधार के लिए राज्य सरकार एवं झारखंड स्टेट लाइवलीहूड प्रमोशन सोसाइटी, अपने समूह को श्रेय देती है।
वहीं, चास प्रखंड के गोड़वली उत्तर पंचायत की तारा देवी भी स्वयं सहायता समूह से जुड़कर खुशहाल जिंदगी जी रही है। वह बताती है कि पंचायत की दीदीयों से झारखंड स्टेट लाइवलीहूड प्रमोशन सोसाइटी (जेएसएलपीएस) का नाम सुनी और वह स्वयं सहायता समूह से जुड़ गई। उनके समूह का नाम आरती महिला समूह है। समूह के सदस्यों की सहमति से उसने 1,30,000 रुपए ऋण लिया। जिससे घर के समीप ही एक राशन (किराना) का दुकान खोला। धीरे – धीरे ग्रहकों की संख्या बढ़ने लगी। वर्तमान में उसे प्रतिमाह सात से आठ हजार रुपए की आमदनी हो रही है। इससे उसकी घर – गृहस्थी की गाड़ी आसानी से चल रही है। वे कहती है कि अगर मन में दृढ निश्चय हो तो कुछ भी मुश्किल नहीं है। हर काम आसान हो जाता है। लेकिन इसके लिए हिम्मत के साथ आगे बढ़ने की जरूरत पड़ती है। जेएसएलपीएस एवं समूह ने मुझे सहारा दिया और उन्हीं के बल पर आज मैं आत्मनिर्भर हूं। पहले हमें लगता था कि मैं महिला हू कैसे व्यवसाय कर पाएंगे, लेकिन जब मैंने व्यवसाय शुरू किया तो शुरू में कुछ दिक्कतें आई लेकिन हिम्मत से काम किया। आज गांवों की अन्य महिलाओं के लिए तारा देवी प्रेरणाश्रोत बन गई है।