डिलेश्वर प्रसाद साहू की रिपोर्ट
धमतरी – करवा चौथ का व्रत महिलाओं ने बड़ा धुम धाम से मनाया जिसमें सुहागिन महिलाएं ने सुबह से लेकर रात तक विधि-विधान से करवा चौथ के नियमों का पालन करते हुए उपवास रखी सुहागिन महिलाएं करवा चौथ का बेसब्री से इंतजार करती रही और सबसे ज्यादा दिलचस्पी करवा चौथा की रात को चांद के दीदार करने की होती है।
इस विशेष पर्व के दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति और परिवार के सदस्यों की लंबी आयु और सुखद वैवाहिक जीवन के कामना के लिए पूरे दिन निर्जला उपवास रखती हैं।
हिंदू पंचांग के अनुसार हर वर्ष कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर करवा चौथा का व्रत मनाया जाता है। पूरे दिन निर्जला व्रत रखते हुए शाम के समय करवा माता की पूजा और कथा के बाद चांद के दर्शन कर और अर्ध्य देकर पति के हाथों से जल और मिष्ठान ग्रहण करके व्रत का समापन करती है
करवा चौथ के दिन सुहागिन महिलाएं सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद सबसे पहले सूर्य देवता के दर्शन करते हुए उन्हें अर्ध्य देते हुए व्रत का संपल्प करती है और शाम के समय 16 श्रृंगार करते हुए पूजा के मुहूर्त को ध्यान में रखते हुए तैयारी करनी शुरू कर देतीं हैं
पूजा में सबसे पहले भगवान गणेश, भगवान शिव और माता गौरी की प्रतिमा को स्थापित कर उनकी पूजा करतीं हैं फिर सभी प्रकार के पूजा क्रियाओं को सपंन्न करते हुए अंत में माता करवा की आराधना और कथा सुनते हैं और उन्हें सभी तरह की पूजा सामग्री जिसमें हलवा-पूड़ी का भोग लगाते हैं फिर इसके बाद रात को चांद के निकलने पर उनकी पूजा आराधना करते हुए अर्ध्य देतीं हैं फिर सबसे आखिरी में अपने पति के हाथों से जल ग्रहण कर व्रत का पारण करतीं हैं ।