जयपुर
महिला दिवस विशेष प्राचीन युग से हमारे समाज में नारी का विशेष स्थान रहा है। पौराणिक ग्रंथों में नारी को पूजनीय एवं देवी तुल्य माना गया है। हमारी धारणा यह रही है कि एक राष्ट्र तब तक सच्चे अर्थों में प्रगति की ओर अग्रसर नहीं हो सकता है जब तक नारी के प्रति भेदभाव निरादर व हीनभावना का त्याग नहीं किया जाता। जिस समाज में नारी का स्थान सम्मानजनक होता है, वह उतना ही प्रगतिशील और विकसित होता है इसलिए परिवार और समाज के निर्माण में नारी का स्थान सदैव ही महत्वपूर्ण रहा है। जब समाज सशक्त और विकसित होता है तब राष्ट्र मजबूत होता है। इस प्रकार एक सशक्त राष्ट्र निर्माण में नारी केंद्रीय भूमिका निभाती है। “मां” के रूप में नारी हर एक बालक की प्रथम गुरु होती है। भारतीय समाज में वैदिक काल से ही नारी का स्थान बहुत ही सम्मानजनक था और हमारा अखंड भारत विदुषी नारियों के लिए जाना ही जाता है, लेकिन निरंतर नारी की स्थिति का ह्रास हो रहा है। नारी सशक्तिकरण के नारे के साथ एक महत्वपूर्ण प्रश्न यह उठता है कि क्या महिलाएँ सचमुच में मजबूत बनी है ? क्या देश में महिला सचमुच सुरक्षित है ? क्या उनका लंबे समय का संघर्ष खत्म हो चुका है ? राष्ट्र के विकास में महिलाओं की सच्ची महत्ता और अधिकार के बारे में समाज में जागरुकता लाने के लिए “मातृ दिवस”, “अंतर राष्ट्रीय महिला दिवस”, आदि जैसे कई महत्वपूर्ण कार्यक्रम सरकार द्वारा लागू किये गये है। आज महिलाओं को कई क्षेत्र में अब भी विकास की जरुरत है। अपने देश में उच्च स्तर की लैंगिक असमानता है जहाँ महिलाएँ अपने समाज, परिवार के साथ ही बाहरी समाज से भी बुरे बर्ताव से पीड़ित है। समाज में अपनी ही पहचान बनाने के लिए उनको दर-दर से अपमान का सामना करना पड़ता है। इसलिए महिलाओं का जागृत होना बहुत जरुरी है। एक बार जब वो अपना कदम उठा लेती है, तभी परिवार आगे बढ़ता है, गाँव आगे बढ़ता है और राष्ट्र विकास की ओर उन्मुख होता है। भारत में, महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए सबसे पहले समाज में उनके अधिकारों और मूल्यों को मारने वाले उन सभी बुरी सोच को समाप्त करना जरुरी है जैसे दहेज प्रथा, अशिक्षा, यौन हिंसा,असमानता, कन्या हत्या, महिलाओं के प्रति घरेलू हिंसा, बलात्कार, मानव तस्करी, आदि। भारत के संविधान में उल्लिखित समानता के अधिकार को सुनिश्चित करने के लिए महिलाओं को सशक्त बनाना सबसे महत्वपूर्ण कार्य है।
नारी ही शक्ति है नर की,
नारी ही शोभा है घर की।
जो उसे उचित सम्मान मिले,
घर में खुशियों के फूल खिले।
मुस्कुरा कर हर दर्द भूलकर
रिश्तों में बंद थी दुनिया सारी
हर पग को रोशन करने वाली
वो शक्ति है एक नारी ।