शेखर की रिपोर्ट
कोरोना महामारी के चलते बहुत से अभिभावक बेरोजगारी की मार से जी रहे। विगत 13 महीनों से बोकारो के निजी स्कूलों द्वारा मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा। इस पर जिला प्रशासन व झारखंड सरकार भी मौन। झारखंड सरकार ने 9 बिंदु पर निजी स्कूलों पर गाइडलाइन्स निकाली ओर सरकार ने कहा सभी स्कूलों को सख्ती से पालन करना होगा । मगर इस आदेश की धज्जियां उड़ाई जा रही।कई बार सरकार व जिला प्रशासन से गुहार लगाई गई।मगर अभिभावकों को सिर्फ निराशा मिली। पहले एग्जाम के नाम पर प्रताड़ित किया जा रहा था। फीस जमा करें नही तो एग्जाम नही दिया जायेगा।
पिछले वर्ष 25 जून 2020 को राज्य सरकार द्वारा आदेश जारी की गई कि जब तक सुचारू रूप स्कूल चालू नही होता तब कोई भी निजी स्कूलों मैं ट्यूशन फीस की बढ़ोतरी नही होगी साथ ही साथ कोई अन्य फीस चार्ज महि ली जाएगी।
मगर इस वर्ष बोकारो की निजी स्कूलों द्वारा 15 से 20 प्रतिशत फीस की बढ़ोतरी की गई। राज्य मैं शिक्षा अधिनियम2017 भी लागू की गई।जिसमें विद्यालय स्तरीय फीस समिति व जिला स्तरीय फीस समिति गठित की बात कही गई जो 3 वर्ष मैं बैठक कर फीस निर्धारित करेगी।
इन स्कूलों मैं सरकारी आदेश की धज्जियां उड़ाई जा रही:-
1:- संत साविर्स सेक्टर 1
2:- dav स्कूल सभी ब्रांच।
3:-MGM स्कूल सेक्टर 4
4:- अय्यप्पा सेक्टर 5
5:- चिन्मया स्कूल सेक्टर 5
6:-डीपीएस स्कूल 5, 4
7:-होलीक्रोस सेक्टर 12
8:- पेंटकॉस्टेल बालीडीह
9:- बोकारो पब्लिक स्कूल
10:- सरस्वती विद्या मंदिर सभी शाखा
साथ ही अन्य निजी स्कूल।
राष्टीय बाल संरक्षण आयोग,राष्टीय मानवधिकार आयोग द्वारा एक उच्च स्तरीय जांच कमिटी बना कर इस घटना की जांच करने मांग की थी।
शिकायत दर्ज कर राज्य शिक्षा सचिव को पत्र लिख कर जांच करने को कही।
बोकारो उपायुक्त से अभिभावक संघ यह मांग करती हैं कि अबिलम्ब जाँच कर फीस वृद्धि करने वालो स्कूलों की एनओसी रद्द की जाय तथा 7 दिनों के अंदर फीस निर्धारण समिति जिला व स्कूल स्तर पर गठन करें।