शेखर की रिपोर्ट
पिछले डेढ़ साल से कोरोना संक्रमण को लेकर लोगों में जो डर पैदा हो गई है वह कहीं ना कहीं आज बच्चों में कोरोनावायरस के संक्रमण को लेकर भय की स्थिति बनी हुई है खासकर कोविड-19 संक्रमण की तीसरी लहर को लेकर बुधवार को स्वास्थ्य मंत्री ने साफ किया है कि ज्यादातर बच्चे सिंप्टोमेटिक होते हैं और कभी कभार उन्हें अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत पड़ती है इस लहर के दौरान कोरोना पॉजिटिव बच्चों की संख्या भी अधिक देखी गई बच्चों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने से जुड़े कई सवाल मीडिया से उठाए गए हैं
ऐसे में केंद्र स्वास्थ्य मंत्री की तरफ से कहा गया है कि कोरोना की लहर बच्चों को ज्यादा प्रभावित नहीं करती है वह ज्यादा सिस्टमैटिक होते हैं यानी उनमें इस संक्रमण के लक्षण बहुत ही कम होते हैं जानकारी के मुताबिक संक्रमित होने वाले बहुत ही कम बच्चों को कभी-कभी अस्पताल में एडमिट करने की जरूरत पड़ती है तो आप मन का है मंत्रालय ने कहा कि अगर पूर्ण रूप से स्वस्थ बच्चों को यह संक्रमण होता भी है तो उनकी हल्की तबीयत खराब होती है और वह बिना अस्पताल कह जल्दी ठीक हो जाते हैं कोई दूसरी लहर के दौरान जिन बच्चे को अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत पड़ी से उन्हें इम्यूनिटी की कमी थी जिसकी वजह से उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था आपको बताते जाएगी सरकार ने स्पष्ट रूप से कहा है कि ऐसा कोई भी डाटा भारत क्या पूरे विश्व में उपलब्ध नहीं है जिसमें यह पाया गया हूं कि बच्चों में यह संकलन गंभीर रूप से फैला है चाइल्ड केयर को देखते हुए हेल्थ केयर इंफ्रास्ट्रक्चर को विकसित करने पर जोर दिया जा रहा है यह भी जानकारी दी गई है कि 2 से 18 साल की उम्र वाले बच्चों पर को वैक्सीन का ट्रायल शुरू कर दिया गया है