शेखर की रिपोर्ट
कोविड के वैश्विक संकट से देशवासियों को निजात दिलाते हुए देश के प्रधानमंत्री मोदी विश्व के मानचित्र पर भारत को एक सशक्त देश के रूप मे स्थापित करने के लिए दिन रात प्रयासरत है। विश्व का बदलता परिदृश्य और पड़ोसी देश से खतरों को भाँप कर भारत के भविष्य को सुरक्षित करने हेतू वैश्विक स्तर पर रणनीतिक तैयारी कर रहे है। देश को आर्थिक शक्ति बनाने एवं रोजगार का अवसर सृजित करने हेतू आत्मनिर्भर भारत का अभियान चलाकर मेक इन इंडिया को बढ़वा दे रहे है,जिसका सकारात्मक परिणाम सामने आ रहा है। मोदी जानते है कि,किसानों का समाजिक व आर्थिक विकास के वगैर देश के विकास की कल्पना बेमानी। इसलिए किसानों की आय बढ़ाने एवं कृषि क्षेत्र मे किसानो का जोखिम करने के लिए पोल्ट्री और डेयरी को कृषि क्षेत्र मे शामिल करते हुए कृषि कानून मे सुधार किया है,जिससे बिचौलिए की भूमिका भी समाप्त होगी, किसानो को कृषि उत्पाद उचित मूल्य प्राप्त होगा। किसानो का जोखिम कम होगा और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को बढ़ावा मिलेगा। रोजगार का अवसर सृजन के साथ साथ वैल्यू ऐडेड खाद्य पदार्थों का निर्यात से देश को राजस्व प्राप्त होगा। कृषि कानून मे उक्त सुधार से किसानों मे नही ,बेशक बिचौलिये मे हडकंप है। इसलिए किसानों के नाम पर बिचौलिए विपक्ष के द्वारा प्रायोजित आंदोलन कर रहे है।तथाकथित किसान आंदोलन का समर्थन के नाम पर आज विपक्ष राजनीतिक स्वार्थ के लिए भारत बंद का आह्वान कर देश मे असंतोष और अस्थिरता का वातावरण बनाना चाहता है। उक्त बातें भाजपा के बोकारो जिलाध्यक्ष भरत यादव ने विपक्ष का किसान आंदोलन के समर्थन मे 27 सितंबर को भारत बंद का आह्वान के आलोक मे प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि, विपक्षी दलों को किसानों के हित से कोई लेना देना नही है,केवल देश के अन्नदाताओ को गुमराह कर रहें है। भारत बंद के समर्थन मे उतरी काॅग्रेस पार्टी अगर किसानों का हितैषी है तो,आजादी के बाद 55-60 वर्षो तक काॅग्रेस के शासनकाल मे किसानों कि स्थिति बद से बदतर क्यों हुई ? पंजाब और केरल सहित देश के कुल 22 राज्यों,जिसमे काॅग्रेस और वामपंथियों का शासन है, वहाँ काॅन्ट्रेक्ट फार्मिंग क्यों हो रहा है? झारखंड मुक्ति मोर्चा भी भारत बंद मे शामिल होकर अपना किसान विरोधी चेहरा छुपाने का प्रयास कर रही है। अगर सचमुच मे झामुमो और काॅग्रेस किसानों के हितैषी होते तो झारखंड की सत्ता पर विराजमान होते ही भाजपा की रघुवर सरकार मे मुख्यमंत्री कृषि आर्शीवाद योजना के तहत किसानो को प्रदत्त पाँच हजार रू.प्रति एकड़ सहायता राशी बंद नही किया जाता। किसानों का ऋण माफ करने और मुफ्त बिजली देने का झांसा देकर झारखंड की सत्ता पर काबिज हेमंत के नेतृत्व मे यूपीए की सरकार किसानो का पूरा घान भी नही खरीद पायी। जितना खरीदा गया उसका भी भुगतान किसानों को ससमय नही किया गया,न्युनतम समर्थन मूल्य के उपर बोनस देने की घोषणा से भी हेमंत सरकार मुकर गयी । लेकिन मोदी जी का प्रधानमंत्री कृषि आर्शीवाद योजना के तहत प्रत्येक किस्त की राशी ससमय किसानों के खाते मे सीधे स्थानांतरित किया जा रहा है। मोदी जी के लगभग 7 वर्ष के शासनकाल मे न्युनतम समर्थन मूल्य मे लागातार वृद्धि होकर काॅग्रेस का 2014 तक के शासनकाल से लगभग दोगुना हो चुका है। न केवल न्युनतम समर्थन मूल्य मे वृद्धि हुई बल्की मोदी सरकार मे न्युनतम समर्थन मूल्य पर कृषि उत्पाद को भारी मात्रा मे खरीदा भी गया,जिसका सीधा लाभ किसानों को मिला है । कृषि क्षेत्र मे सुगमता से ऋण के लिए 15 लाख करोड रू.से ज्यादा राशी का वजट ऐतिहासिक प्रावधान किया है।न्युनतम समर्थन मूल्य और मंडी की व्यवस्था जारी रखने का संकल्प के साथ समुचित मूल्य पर देश के किसी भी क्षेत्र मे कृषि उपज को बेचने का किसानो को अधिकार दिया है। किसानों कल्याणार्थ अनेक योजनाओ का संचालन मोदी सरकार के द्वारा किया जा रहा है। इसलिए देश के अधिकांश किसान कृषि क्षेत्र मे सुधार से संतुष्ट है,लेकिन दलाली की संभावना समाप्त होते देख बिचौलिए तिलमिलाए हुए है और मोदी की देश विदेश मे लोकप्रियता एवं स्वीकार्यता से विपक्ष घबराया हुआ है। इसलिए बिचौलिए और विपक्ष का अनैतिक गठजोड़ का परिणाम तथाकथित किसान आंदोलन है।