देहरादून। कोरोना महामारी में कर्फ्यू के नाम पर मुनाफाखोर चांदी काट रहे हैं। शहर में आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति सामान्य है और किसी भी खाद्य पदार्थ की कोई किल्लत नहीं है। इसके बावजूद गली-मोहल्लों में बेवजह दाम बढ़ाकर सामान बेचा जा रहा है। हैरानी की बात तो ये है कि लोग मजबूरन सामान खरीद रहे हैं और संबंधित विभाग शिकायत के इंतजार में बैठा है।
दून में पिछले करीब तीन सप्ताह से कोविड कर्फ्यू लगाया गया है। हालांकि, पूर्ण कर्फ्यू को भी एक सप्ताह होने वाला है, लेकिन इस दौरान आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं पर कोई पाबंदी नहीं है। दिल्ली और अन्य बड़े राज्यों में भी आवश्यक वस्तुओं के आवागमन को छूट दी गई है। दून के बाजार में अन्य शहरों से पर्याप्त मात्रा में खाद्य, फल-सब्जी, रोजमर्रा की वस्तुएं पर्याप्त मात्रा में पहुंच रही हैं।
इसके बावजूद मुनाफाखोरी चरम पर है। दून में मुनाफाखोर कोविड कर्फ्यू के नाम पर चांदी काट रहे हैं। खासकर गली-मोहल्ले की दुकानों पर मनमानी की जा रही है। यही आलम फल की दुकानों का है। आम आदमी को लूटने में कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही है। दुकानदार का बहाना भी क्या कि ‘माल कम आ रहा है, ऊपर से ही दाम बढ़ गए हैं।’ इस सब के बीच जनता भी चुपचाप सामान खरीदने को बेबस है।
खाद्यान्न की कुछ प्रमुख वस्तुओं के दाम
वस्तु, बाजार भाव
आटा, 22-28
चावल, 26-32
चावल-ग्रेड बासमती, 60-100
चावल बी ग्रेड शरबती, 32 से 60
तेल सरसों, 150-170 प्रति लीटर
सोयाबीन रिफाइंड, 148-160 प्रति लीटर
दाल अरहर, 95-110 प्रति किलो
मलका, 80-85 प्रति किलो
चना दाल, 70-75
दाल उड़द, 90-130
दाल मूंग, 95-120
राजमा, 95-125
राजमा चकराता, 160
एमआरपी से ज्यादा दाम वसूल रहे दुकानदार
रोजमर्रा की वस्तुओं पर भी मनमाने दाम वसूले जा रहे हैं। गली-मोहल्लों की दुकानों पर मैगी, नमकीन-बिस्किट, ब्रेड, अंडा, सॉस, तंबाकू उत्पाद आदि पर एमआरपी से अधिक दाम लिए जा रहे हैं। जबकि, संबंधित कंपनियों की ओर से कोई मूल्य वृद्धि नहीं की गई है।
आढ़त बाजार व्यापार संघ के महासचिव विनय गोयल ने बताया कि आपूर्ति में कोई कमी नहीं आई है। सभी वस्तुओं की पर्याप्त उपलब्धता है। ऐसे में दाम बढऩे का भी कोई मतलब नहीं है। थोक दाम पर दुकानदार अपना मार्जिन जोड़ते हैं, जिसके बाद भी मामूली अंतर आता है। यदि कोई दुकानदार अधिक दाम वसूल रहा है तो यह गलत है।
वहीं, बाट-माप विभाग के वरिष्ठ निरीक्षक अमित कुमार का कहना है कि दुकानों पर ओवररेटिंग के खिलाफ समय-समय पर चेकिंग के निर्देश दिए गए हैं। यदि कहीं निर्धारित से अधिक दाम वसूले जाने की शिकायत मिलती है, तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी। एमआरपी से अधिक दाम वसूलना कानूनन अपराध की श्रेणी में आता है।